शहीद मेजर विभूति ने बचपन में ही देख लिया था सेना में जाने का सपना, कई बार असफल होने पर भी नहीं छोड़ी राह

0
103

शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंढियाल ने बचपन से ही सेना में जाने का सपना देख लिया था। उनके इस सपने को पूरा करने में मामा और उनके बहनोई ने भी मदद की। वह कई बार असफल हुए लेकिन राह नहीं बदली।

उन्होंने पुलवामा हमले के दौरान पांच आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा था। लेकिन उन्होंने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया। उनके इसी जुनून, देशभक्ति और सर्वोच्च बलिदान को देखते हुए मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। उनके बाद अब उनकी पत्नी भी इसी राह पर चल पड़ी हैं। पुलवामा आतंकी हमले के दौरान शहीद हुए मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल का जन्म 19 फरवरी 1985 को हुआ था। उनके पिता ओमप्रकाश ढौंडियाल का वर्ष 2012 में देहांत हो चुका था। उनके पिता कंट्रोलर ऑफ डिफेंस अकाउंट्स (सीडीए) में सेवारत रहे। उनकी मां सरोज और दादी देहरादून में रहती हैं।शहीद ढौंढियाल तीन बहनों के इकलौते भाई थे। उनकी दसवीं तक की पढ़ाई देहरादून के प्रतिष्ठित सेंट जोजफ्स एकेडमी से हुई। वर्ष 2000 में दसवीं करने के बाद उन्होंने 12वीं की परीक्षा पाइनहॉल स्कूल से पास की।

शहीद विभूति ने बचपन से ही फौजी बनने का सपना देखा था, लेकिन इसमें वे कई बार असफल हुए। राष्ट्रीय मिलिट्री एकेडमी में प्रवेश नहीं मिलने पर भी उन्होंन हार नहीं मानी और कोशिश करते रहे। फिर साल 2011 में ओटीए से पासआउट होकर वह सेना का हिस्सा बने।मेजर विभूति जब भी कभी घर आते थे वह कश्मीर व अन्य जगह अपनी पोस्टिंग के दौरान हुए ऑपरेशनों के किस्से सुनाते थे। 55-राष्ट्रीय राइफल्स का हिस्सा रहते हुए शहीद हुए मेजर विभूति के लिए डर नाम की कोई चीज ही नहीं थी।

विभूति शंकर ढौंढियाल की शादी नितिका कौल के साथ 19 अप्रैल 2018 को हुई थी। उनके वैवाहिक जीवन को 10 महीने ही हुए थे कि मेजर विभूति कश्मीर में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए। ऐसे मुश्किल दौर में भी नितिका ने हार नहीं मानी।उन्होंने न सिर्फ खुद को संभाला, बल्कि स्वजन को भी हिम्मत दी। उन्होंने तय कर लिया था वह विभूति के सपने के साथ ही आगे बढ़ेंगी। नितिका इसी साल 29 मई को सेना में अफसर बनीं। वे ओटीए (ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी) चेन्नई से पासआउट होकर पति की राह पर बढ़ती चली गई।

LEAVE A REPLY