फारुख अब्दुल्ला कहाँ समझेंगे कश्मीर के विस्थापित पंडितों का दर्द!

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कोलकता की रैली में फारुख अब्दुल्ला दहाड़े मार मार कर रो रहे थे कि मोदी ने कश्मीर को बर्बाद कर दिया । कश्मीरी नों जवानों पर सेना गोली बरसा रही है । हमारे लोगो को हिन्दू- मुस्लिम में बांटा जा रहा है । भाई चारा खत्म कर दिया इस सरकार ने ।

लेकिन फारुख अब्दुल्ला जी दिलीप कुमार कौल वह शख्स हैं जिन्होंने बांदीपोरा,कश्मीर के एक चौराहे पर 25.6.1990 को गिरिजा टिक्कू की आरे से काटी गई सिर से लेकर ‘नीचे’ तक दो हिस्सों में बटी देह देखी थी । पोस्टमार्टम के बाद गिरिजा टिक्कू की देह को फिर से चमड़े के धागे से सिला गया था उम्र थी सिर्फ 23 वर्ष ज़िंदा शरीर को दो हिस्सों में काटने से पहले गिरिजा को हिन्दू होने की सज़ा दी गई थी, दर्जनों जेहादियों ने उनके साथ बर्बर बलात्कार भी किया था ।

कश्मीरी पंडितों को ”काफिर हिन्दू’ जा रहा है” कहकर राह चलते गालियां दी जाती थीं । सरला भट्ट नामक कश्मीरी हिन्दू नर्स के साथ मेडिकल कालेज में बर्बर बलात्कार हुआ था, फिर हत्या हुई शरीर पर सैकड़ों ज़ख्म थे । एक हिन्दू नारी देशभक्त होने की सज़ा दी गई थी । मृत शरीर के साथ अत्याचार लगभग हर हिन्दू को घाटी में 12-24 घंटे भीषणतम अत्याचार और सता कर मारा गया था ।

1989 भारतीय जीवन निगम के बिहार से सम्बद्ध दो डायरेक्ट रिक्रूट ऑफिसर्स को निशात बाग,श्रीनगर में एक लकड़ी की हट में बंद कर आग लगा दी गई एक की हट में ही जलकर मृत्यु हो गई दूसरा बामुश्किल गंभीर हालत में बचाया जा सका लेकिन सुनते हैं कि वह मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गए दोनों ने देशभक्त हिन्दू होने की सज़ा भुगती ।

अनुपम खेर के मामा और मामी रैनाबाड़ी, श्रीनगर मोहल्ले में रहते थे मामा-मामी ने रिटायर होने के बाद शानदार घर बनवाया था । गृहप्रवेश की पूजा के चंद दिन बाद एक मौलाना प्रकट हुए अनुपम खेर की मामी से कहा कि “यह घर हम खरीदना चाहते हैं ” अनुपम खेर की मामी हतप्रभ रह गईं मौलाना को डांट लगाई कि एकदम नए घर को उन्होंने खरीदने ( कब्ज़ा) की इच्छा कैसे ज़ाहिर की मौलाना चला गया धमकी देकर ।

अगले दिन ब्रह्ममहूर्त में जब खेर की मामी घर के पिछवाड़े में स्थित अपने घर के आंगन में तुलसी को पानी देने गईं तो वह बेहोश होकर गिर पड़ीं घर के आंगन के बीचों-बीच पड़ोसी कश्मीरी पंडित का कटा सिर पड़ा था मौलाना ने धमकी को कार्यरूप दे दिया था चंद रोज़ बाद मामा-मामी घर बन्द कर हमेशा के लिए जम्मू भाग आये ।

सुरक्षाबलों पर 40 साल से जूते-चप्पल फेंकें जा रहे हैं। आर्मी के जवान के मुंह पर कश्मीरी अलगाववादी बच्चा कहता है “गाय तुम्हारी माता है.. हम उसको खाता है ” 70 साल से हमारे सुरक्षाबल खून का घूंट पीकर घाटी में अपना खून बहा रहे हैं कब तक खून बहाएंगे कुछ पता नहीं । बिट्टा कराटे टीवी स्क्रीन पर कहता है कि 40 कश्मीरी पंडितों की हत्या के बाद उसने लाशें गिनना छोड़ दिया था ! यासीन मलिक ने एयरफोर्स के 4 अधिकारियों पर हैंडग्रेनेड फेंक कर हत्या की स्वीकारोक्ति एक विदेशी चैनल पर की थी ।

आज तक 1500 कश्मीरी पंडितों के हत्यारों पर एक भी FIR नहीं हुई कोई मुकदमा नहीं चला जेल की बात कौन करें । कितने लोग जानते हैं कि भारतीय राजनयिक रवींद्र म्हात्रे की हत्या मकबूल बट्ट ने क्यों की थी । कश्मीरी पंडितों की हत्या होती रहीं सभी राजनीतिक पार्टियां क्यों खामोश रहीं श्रीनगर में स्थित संयुक्त राष्ट्र के पर्यवेक्षक और एमनेस्टी इंटरनेशनल कश्मीरी पंडितों की लाशों की ओर देखने तक से इनकार क्यों करते रहे । दरअसल हिन्दू ने कभी किसी दूसरे हिन्दू को अपना भाई आत्मीय माना ही कब ? सैकड़ों सदियों का इतिहास है यह घाटी से हिन्दू भागता नहीं तो क्या करता ? जब सब साथ छोड़ चुके थे ।

खैर *इन सब बातों को बंगाली हिन्दू अभी नही समझेगा*, जब समझ आएगी तब तक बोरिया बिस्तर बाँध कर पलायन करना होगा ।
सब तो यह मानते हैं कि हम उत्तराखण्ड, MP में है,राजस्थान, हरियाणा में रहते हैं, “मुझे क्या फर्क पड़ता है इन सब बातों से?” यही मानसिकता हम हिन्दुओ के पतन कारण है ।

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