सरकार का कहना है कि महज 0.313 एकड़ के एरिया पर ही विवाद है। बाकी 67.390 एकड़ जमीन गैर-विवादित है। सरकार ने 1993 में 67.70 एकड़ जमीन एक्वायर की थी।
1994 में सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि अगर केंद्र सरकार अधिग्रहण की गई गैर-विवादित जमीन को वापस देना चाहे, तो दे सकती है।
नई दिल्ली : अयोध्या केस में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर गैर-विवादित जमीन को उसके मूल मालिकों को सौंपने की मांग की है। केंद्र ने कोर्ट में अर्जी देकर गैर-विवादित जमीन पर यथास्थिति हटाने की मांग की है। सरकार का कहना है कि महज 0.313 एकड़ के एरिया पर ही विवाद है। बाकी 67.390 एकड़ जमीन गैर-विवादित है। सरकार ने 1993 में 67.70 एकड़ जमीन एक्वायर की थी। 1994 में सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि अगर केंद्र सरकार अधिग्रहण की गई गैर-विवादित जमीन को वापस देना चाहे तो दे सकती है।
अब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह पूरे इलाके में यथास्थिति बनाए रखने के 2003 के अपने आदेश में बदलाव करे ताकि वह उस जमीन को उनके मूल मालिकों को लौटा सके। इस गैर विवादित 67.390 एकड़ में से करीब 42 एकड़ हिस्सा राम जन्मभूमि न्यास का है। यहां जमीन का पूरा नक्शा देखकर समझें पूरा मामला:
भूमि अधिगृहीत करने पर 84 मामलों में दिए गए थे मुआवजे
6 दिसंबर 1992 को बाबरी ढांचा ढहाए जाने के बाद जनवरी 1993 में केंद्र सरकार ने अयोध्या ऐक्ट के माध्यम से विवादित स्थल सहित आसपास की लगभग 70.081 भूमि को अधिगृहीत कर लिया था।
इन अधिगृहीत भूमि में विवादित स्थल से जुड़ी लगभग 2.77 एकड़ भूमि को छोड़कर मंदिर, आवासीय व कृषि भूमि से जुड़े दावेदारों ने मुआवजे के लिए शासन स्तर से गुहार की थी।
विवादित परिसर के रिसीवर मंडलायुक्त के पीए बीएल मौर्य बताते हैं कि मुआवजे से जुड़े लगभग 84 मामले शासन स्तर पर तय कर दिए गए थे।
इनमें लगभग 3 मामले न्यायालय में विचाराधीन है। ये वह लोग हैं, जो शासन से मुआवजे से संतुष्ट ना हो कर न्यायालय गए हैं।
अधिगृहीत क्षेत्र में सबसे ज्यादा भूमि राम जन्मभूमि न्यास की
विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा कहते हैं कि केंद्र का यह निर्णय राम मंदिर निर्माण के दिशा में उठा पहला कदम माना जा सकता है।
अगर यह भूमि वापस लौटाने का आदेश आता है तो वीएचपी की तैयारी पूरी है।
वर्ष 1991 में तत्कालीन कल्याण सिंह सरकार ने अधिगहीत क्षेत्र में राम कथा कुंज के लिए श्री राम जन्मभूमि न्यास को लगभग 43 एकड़ भूमि पट्टे पर दी थी।
वीएचपी ने राम कथा कुंज का निर्माण शुरू भी कर दिया था, लेकिन ढांचा विध्वंस के बाद केंद्र से किए गए अधिग्रहण के बाद वीएचपी की यहां पर होने वाली गतिविधि ठप पड़ गई थी।