दिल्ली। पश्चिम बंगाल के एनआरएस मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में सोमवार को जूनियर डॉक्टरों पर हमला हुआ। इस मामले ने अब तूल पकड़ लिया है और देशभर के डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। डॉक्टरों की मांग है कि उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मुहैया करवाई जाए। इस हड़ताल के कारण मरीजों और उनके तीमारदारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस हड़ताल को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी अपना समर्थन दिया है और उसकी देशभर की ब्रांच में मौजूद डॉक्टर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी बीच 18 डॉक्टरों ने वर्तमान परिस्थिति में काम करने में अक्षमता जताते हुए पद से इस्तीफा दे दिया है।
आइये हम आपको बताते हैं पूरा मामला
–पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों पर हुए हमले को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अपील की है कि वह इसे अपनी प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाएं। उन्होंने डॉक्टर्स को आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार उनकी सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ‘मैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से हाथ जोड़कर कहना चाहता हूं कि इसे अपनी प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाएं। इतनी बुरी तरह पिटाई होने के बादवजूद डॉक्टर केवल पर्याप्त सुरक्षा और दोषियों के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई चाहते हैं। मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया और डॉक्टरों को अल्टीमेटम दे दिया। जिसके बाद देशभर के डॉक्टर गुस्सा हो गए और वह हड़ताल पर चले गए। यदि मुख्यमंत्री ने अपना रवैया नहीं बदला तो देशभर के मरीजों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।‘
–शुक्रवार को महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेसीडेंट डॉक्टर्स ने देशभर के प्रदर्शन में हिस्सा लिया। हैदराबाद निजाम इ्स्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसिज के डॉक्टर्स ने विरोध मार्च में हिस्सा लिया। दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन और एम्स के रेसिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन आज हड़ताल पर हैं। एम्स के रेसिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात की।
–कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज हालिया गतिरोध का केंद्र है। यहीं पर दो युवा इंटर्न- परिबाहा मुखोपाध्याय और यश टेकवानी पर हमला हुआ था। जिसके बाद पश्चिम बंगाल की स्वास्थ्य सेवा चरमरा गई है।
–गुरुवार को राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीधे हस्तक्षेप किया। मगर उस तरह से नहीं जैसा कि डॉक्टर्स उम्मीद लगाए बैठे थे। वह एसएसकेएम अस्पताल के कैंपस पहुंची और हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टर्स को चार घंटे के अंदर काम पर लौटने के लिए कहा। उन्होंने कहा यदि ऐसा नहीं हुआ तो सरकार उनपर कार्रवाई करेगी। जिसमें छात्रावासों से निष्कासन भी शामिल होगा।
–हड़ताल कर रहे डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री के बयान को एक धमकी के तौर पर लिया और वह काम पर नहीं लौटे। उन्होंने प्रतिज्ञा की कि उनकी हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक कि सुरक्षा और न्याय की उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती। इसी तरह की धमकी कोलकाता नगर निगम ने 300 डॉक्टरों को दी है।
–शाम को मुख्यमंत्री एक बंगाली न्यूज चैनल पर नजर आईं। उन्होंने एक बार फिर डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘इन युवा छात्रों ने जो कहा मैं उसपर ध्यान नहीं दे रही हूं। यदि आप मेरा सिर कलम करना चाहते हैं तो कर दें लेकिन कम पर लौट जाएं।’
-मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद भी परिस्थिति में कोई बदलाव नहीं आया।
–शुक्रवार को दिल्ली और महाराष्ट्र में स्वास्थ्य व्यवस्था पर हड़ताल का प्रभाव साफ नजर आया। डॉक्टर्स ने ओपीडी सेवा और नियमित सर्जरी को पूरी तरह से बंद कर दिया।
–एम्स और सफदरजंग जैसे अस्पताल जहां रोजाना 10,000 मरीज आते हैं, वहां ओपीडी बंद पड़ी हैं। एम्स पटना औप रायपुर ने इस शटडाउन को अपना समर्थन दिया है।
–इंडियन मेडिकल एसोसिएशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को केंद्रीय अस्पताल संरक्षण अधिनियम लाने की अपील कर सकते हैं। जिससे डॉक्टरों को हमलों से बचाया जा सके।
-सरकारी डॉक्टरों के समर्थन में कॉर्पोरेट अस्पतालों ने भी विरोध प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया है। प्रमुख अस्पतालों के रेसीडेंट डॉक्टरों ने गुरुवार को काले बेज, बैंडेज और हेल्मेट पहनकर काम किया।