बिहार माॅडल को अपनाकर हर घर तक पानी पहुंचाएगी केंद्र सरकार

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दिल्ली। जल शक्ति मंत्रालय एक योजना पर विचार कर रहा है। इसके तहत बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘हर घर नल का जल’ योजना की तर्ज पर पाइप से जलापूर्ति के लिए उपयोगकर्ता पर शुल्क लगाया जाएगा। नीति आयोग की बैठक में मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के अंतर्गत अगले पांच सालों में देश के प्रत्येक घर तक पाइप के जरिए पानी पहुंचाने को प्राथमिकता दिए जाने का संकेत दिया है। इसके लिए जल संसाधन मंत्रालय के नाम को बदलकर इसे जल शक्ति कर दिया गया है।

सूत्रों का कहना है कि पानी की सप्लाई में मुनाफे को सबसे ऊपर रखा जाता है। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार इसके लिए उपयोगकर्ता से कुछ शुल्क वसूलेंगी। एक अधिकारी ने कहा, ‘बिहार मॉडल में पानी की सप्लाई के बदले लोग रोजाना एक रुपये यानी प्रति महीने 30 रुपये का भुगतान करते हैं। जल आपूर्ति विकेन्द्रीकृत तरीके से की जाती है। जिसमें ग्राम पंचायत के एक वार्ड को बेसिक यूनिट माना जाता है और उसमें 100 घर शामिल होते हैं। इस मामले में पानी का स्रोत भूजल होता है। यह बिहार में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है और ट्यूबवेल का उपयोग करके इसकी आपूर्ति की जाती है।’

‘हर घर नल का जल’ योजना बिहार में सितंबर 2016 में लागू की गई थी। जिसमें पांच सालों के अंदर 20 मिलियन (दो करोड़) घरों तक पाइप के जरिए पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था। वर्तमान में केवल 0.8 मिलियन घरों में यह सुविधा मौजूद है। वर्तमान में शहरी और ग्रामीण बिहार में जल आपूर्ति की गुणवत्ता और मात्रा के मसलों के समाधान के लिए चार उप-योजनाएं चल रही हैं। साल 2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के खिलाफ हर घर तक पीने का साफ पानी पहुंचाना नीतीश कुमार के सात नीतिगत संकल्पों में से एक था।

2015 में जनता दल यूनाइटेड (जदयू), राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस ने मिलकर बिहार में चुनाव लड़ा था। हालांकि यह महागठबंधन ज्यादा समय तक नहीं चला और जदयू एनडीए का हिस्सा बन गई। अधिकारियों का कहना है कि जल आपूर्ति के बिहार मॉडल को उन क्षेत्रों में लागू करने पर विचार किया जा सकता है जहां भूजल काफी अधिक मात्रा में मौजूद है। जिसमें पंजाब से लेकर असम तक के गंगा के मैदानों वाले राज्य शामिल हैं।

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