मुंबई। उच्चतम न्यायालय महाराष्ट्र में शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को आरक्षण देने संबंधी कानून को बरकरार रखने के बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की एक पीठ ने मराठा आरक्षण संबंधी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग पर संज्ञान लिया। याचिका पर सुनवाई के लिए 12 जुलाई की तारीख तय की गई है।
गैर सरकारी संगठन ‘यूथ फॉर इक्वलिटी’ के प्रतिनिधि संजीत शुक्ला ने यह याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग (एसईबीसी) आरक्षण कानून मराठा समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में क्रमशरू 12 से 13 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करता है।
यह शीर्ष अदालत के इंदिरा साहनी मामले में दिए फैसले में तय की गई 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा का उल्लंघन है, जिसे ‘मंडल फैसला’ भी कहा जाता है।
महाराष्ट्र सरकार ने भी उच्च न्यायालय द्वारा पारित फैसले को चुनौती देने की उम्मीद करते हुए यह कहते हुए शीर्ष अदालत में एक प्रतिवाद दायर किया था कि राज्य का पक्ष सुने बिना उच्च न्यायालय के 27 जून के फैसले को चुनौती देने वाली किसी भी याचिका पर कोई आदेश पारित नहीं किया जाए।
बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने 27 जून को मराठा समुदाय के लिए नौकरी और शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण के लिए राज्य सरकार के फैसले पर मुहर लगा दी थी। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका दायर की गई है।