अब कश्मीर कानूनी रूप से भारत में समाहित

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नई दिल्ली। संवाददाता। कश्मीर से लेकर दिल्ली तक जारी गहमा गहमी के तहत जैसी संभावनाएं जताई जा रही थी कि केन्द्र की मोदी सरकार जम्मू कश्मीर पर कुछ बड़ा करने जा रही है उसका सच आज कैबिनेट बैठक के बाद शुरू हुई राज्य सभा की कार्यवाही के दौरान सबके सामने आ चुका है। गृह मंत्री अमित शाह द्वारा आज जम्मू कश्मीर पूर्व गठन पेश करते हुए राज्य से अनुच्छेद 370 को समाप्त करने तथा जम्मू कश्मीर को केन्द्र शासित राज्य बनाने का प्रस्ताव पेश किया।

गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किये गये संकल्प में अब जम्मू कश्मीर को दो हिस्सों में बांटा गया है। जम्मू कश्मीर व लद्दाख अब दो अलग अलग केन्द्र शासित प्रदेश होगें। गृहमंत्री के इस प्रस्ताव पर राष्ट्रपति से पहले ही मंजूरी ले ली गयी थी। इस प्रस्ताव के बाद जम्मू कश्मीर अब अलग राज्य नहीं होगा जिसे विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त था। देश के अन्य तमाम केन्द्र शासित राज्यों की तरह अब जम्मू कश्मीर के राजकाज की बागडोर भी केन्द्र सरकार के अधीन ही होगी।

सरकार द्वारा इस एतिहासिक फैसले से पहले ही जम्मू कश्मीर सहित पूरे देश में अहतियातन कई कदम उठाये गये थे। घाटी में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती से लेकर कश्मीरी नेताओं को उनके घरों में नजर बंद करने व इंटरनेट व मोबाइल सेवाओं को बंद कर दिया गया था तथा पर्यटकों को वापस भेजा जा चुका है। अमित शाह के प्रस्ताव को राज्य सभा में कुछ विपक्षी दलों द्वारा जोरदार विरोध किया गया वह सदन में ही धरने पर बैठ गये। हंगामा बढ़ता देख अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया। पीडीपी के सांसद ने सदन में ही अपने कपड़े तक फाड़ डाले। पीडीपी नेता मुफ्ती महबूबा ने सरकार के फैसले को विनाशकारी बताया है।

बीजेडी के सांसद, राज्यसभा में प्रसन्ना आचार्य ने कहा कि वास्तविक अर्थों में आज जम्मू और कश्मीर भारत का हिस्सा बन गया है। मेरी र्पार्टी इस प्रस्ताव का समर्थन करती है। हम एक क्षेत्रीय पार्टी हैं लेकिन हमारे लिए राष्ट्र पहले है। सरकार की सहयोगी पार्टी जदयू के नेता केसी त्यागी ने कहा कि हमारे प्रमुख नीतीश कुमार, जयप्रकाश नारायण राम मनोहर लोहिया और जॉर्ज फर्नांडीस की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। इसलिए हमारी र्पार्टी आज राज्यसभा में चले गए और बिल का समर्थन नहीं कर रही है। हमारी अलग सोच है। हम चाहते हैं कि धारा 370 को निरस्त न किया जाए।

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