नई दिल्ली (भाषा) : केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी ने कहा है कि वह ग्राम प्रधान या सरपंच के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता निर्धारित करने के मकसद से सभी राज्यों के मुख्यमंत्री को लिखेंगी। राजस्थान एवं हरियाणा सरकारों ने वर्ष 2015 में अपने पंचायती राज कानूनों में संशोधन कर पंचायत चुनाव में लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षिणक योग्यता निर्धारित की थी।
लोकतंत्र की बुनियाद पंचायतों के प्रतिनिधियों को अनिवार्य रूप से पढ़ा लिखा होना चाहिए। केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी की इस दिशा में पहल सराहनीय है। राज्य सरकारों को चाहिए कि अनिवार्य रूप से कानून बना कर पंचायतों के प्रतिनिधियों के शैशिक्षक योग्यता निर्धारित की जाय। महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने यहां एक कार्यक्रम में एक महिला सरपंच के सुझाव के जवाब में कहा, राजस्थान सरकार ने जो तय किया है उसे सभी राज्य सरकारों को लागू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय इस मुद्दे पर सभी राज्यों को लिखेगा। मेनका ने कहा, राजस्थान ने बहुत अच्छा काम किया है। शुरू में इसका काफी विरोध हुआ किन्तु मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छा निर्णय किया गया। मुझे लगता है कि इसे सभी को अपनाना चाहिए। इससे महिलाओं को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
बताते चलें कि राजस्थान विधानसभा ने पंचायती राज (संशोधन) विधेयक 2015 में पारित किया था जिसमें जिला परिषद एवं पंचायत समिति का चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार का दसवी परीक्षा तथा सरपंच के लिए कक्षा आठ तक का अध्ययन करने की न्यूनतम अनिवार्यता रखी गयी है। बाद में हरियाणा ने भी इसी तरह का कानून बनाया। हरियाणा ने पंचायत चुनाव में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता कक्षा दस उत्तीर्ण करना रखी थी। महिला एवं अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए यह योग्यता आठवीं कक्षा है। राजस्थान एवं हरियाण दोनों ने इन चुनाव में खड़े होने वाले प्रत्याशियों के घर में शौचालय होने की अनिवार्यता रखी थी। कार्यकर्ताओं ने इस कदम का विरोध किया था और हरियाणा के संशोधित कानून को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी थी। किन्तु उच्चतम न्यायालय ने इस कानून को बरकरार रखा।