रायपुर विधानसभा सीट में कायम रहा है उमेश शर्मा ‘काउ’ का जलवा, हर बार खुद को किया है साबित,पढ़िए उत्तराखण्ड रिपोर्ट की खास पेशकश

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उत्तराखण्ड रिपोर्ट के दर्शकों के लिए अब हर हप्ते एक एक  विधानसभा का सिलसिलेवार तरीके से विश्लेषण कर एक रिपोर्ट पेश कर रहें हैं।इस रिपोर्ट में  आपको विधानसभा की समस्याओं सहित विधायक के रिपोर्ट कार्ड का पूरा विश्लेषण मिलेगा

Uttarakhand Politics: रायपुर विधानसभा सीट उत्तराखंड (Uttarakhand) की सबसे बड़ी विधानसभा सीटों में से एक है. इस सीट पर विधायक उमेश शर्मा ‘काउ’ (Umesh Sharma kau) का दबदबा रहा है.

Uttarakhand Assembly Election 2022: रायपुर विधानसभा क्षेत्र 2008 में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया. देहरादून जिले में स्थित रायपुर विधानसभा क्षेत्र (Raipur Assembly Seat) अनारक्षित है. 2008 के परिसीमन के बाद इस क्षेत्र से विधायक उमेश शर्मा ‘काउ’ (Umesh Sharma kau) रहे हैं. 2012 में पहली बार इस सीट पर चुनाव (Election) हुए जिसमें उमेश शर्मा ‘काउ’ कांग्रेस (Congress) पार्टी से मैदान में उतरे तो भाजपा (BJP) ने तत्कालीन सरकार में मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) को उतारा. दोनों के बीच कांटे का मुकाबला हुआ. ‘काउ’ के समर्थक त्रिवेंद्र पर बाहरी होने का आरोप लगा रहे थे, तो त्रिवेंद्र समर्थक विकास की दुहाई दे रहे थे. कांटे के इस मुकाबले को उमेश शर्मा ‘काउ’ ने 474 वोटों से जीत कर मंत्री त्रिवेंद्र को जोरदार पटखनी दी.

 

रिकॉर्ड मतों से दर्ज की जीत 
भाजपा ने साल 2016 में हरीश रावत के जिन 10 विधायकों को तोड़ा उनमें ‘काउ’ भी एक थे. भाजपा में शामिल होकर ‘काउ’ ने अपनी टिकट पक्की कर ली और साथ ही त्रिवेंद्र को दूसरी सीट पर जाना पड़ा. 2017 के विधानसभा चुनाव में उमेश शर्मा के खिलाफ उतारने के लिए कांग्रेस को प्रत्याशी तलाशने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. कांग्रेस ने नए चेहरे प्रभुलाल बहुगुणा को ‘काउ’ के खिलाफ उतारा. ‘काउ’ ने रिकॉर्ड मतों से जीत कर साबित कर दिया है उनका कद इस सीट पर दूसरे किसी भी नेता से बड़ा है.

 

विकास कार्यों को किया पूरा 
रायपुर विधानसभा सीट उत्तराखंड की सबसे बड़ी विधानसभा सीटों में से एक है. इस सीट पर विधायक उमेश शर्मा ‘काउ’ का दबदबा रहा है. चाहे कांग्रेस पार्टी से हों या भाजपा से, रायपुर की जनता ने पार्टी से परे उमेश पर ही भरोसा दिखाया है. सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो उनके पहले टर्म की उपलब्धियां दूसरे टर्म पर भारी पड़ती दिख रही हैं. साल 2012 से लेकर साल 2017 तक उनके जरिए 355 सड़कों का निर्माण हुआ जबकि साल 2017 से लेकर अब तक रायपुर विधानसभा में 42 सड़कों का ही निर्माण हुआ है. उनके पहले टर्म में 12 पुलों का निर्माण हुआ और दूसरे में सिर्फ 3 पुल ही बन पाए. उसके अलावा अपने दोनों ही टर्म में विधायक ‘काउ’ ने कई विकास कार्यों को बखूबी पूरा किया.

 

क्षेत्र से नदारद है कांग्रेस पार्टी 
अजबपुर कलां में कम्युनिटी हॉल, नालों और नालियों का निर्माण, पार्क, सोलर लाइट प्रोजेक्ट, पीने का पानी की सप्लाई ऐसे कई कार्यों की गिनती उनके क्षेत्र की जनता द्वारा की जाती है. ‘काउ’ ने यहां की जनता के बीच विश्वास स्थापित किया है. जनता मानती है कि उनकी बड़ी खासियत है कि हर मौके पर वो जनता के साथ रहते हैं. कोविड काल में भी उन्होंने जनता के लिए जमकर काम किया. उनके क्षेत्रों में मलिन बस्तियां काफी हैं, जहां घर-घर राशन पहुंचा. दूसरी लहर में उन्होंने राशन के साथ जरूरतमंदों को ऑक्सीजन सिलेंडर भी मुहैया करवाए. उनकी विरोधी पार्टी कांग्रेस इस क्षेत्र में पूरी तरह से नदारद है. प्रभुलाल बहुगुणा 5 साल में दिखे तक नहीं.

रायपुर विधानसभा सीट का हाल 
रायपुर विधानसभा सीट पर मतदाताओं की बात करें तो रायपुर विधानसभा सीट में 1 लाख 64 हजार वोटर हैं. जिसमें से 85597 पुरुष हैं और 78403 महिलाएं हैं. वर्तमान में उमेश शर्मा ‘काउ’ यहां से विधायक है.

 

रायपुर की पांच बड़ी समस्याएं 

 

– नालों में जल भराव.
– कई क्षेत्रों में पानी की सप्लाई का सुचारु ना होना.
– तंग गलियों में इलेक्ट्रिक पोल्स से गिरती बिजली की तारें.
– ट्रैफिक जाम.
– मलिन बस्तियों का विनियमितीकरण.

 

‘काउ’ ने लगातार खुक को किया मजबूत
रायपुर विधानसभा सीट से उमेश शर्मा ‘काउ’ को लेकर जनता संतुष्ट नजर आई. आने वाले चुनावों में कांग्रेस के सामने उमेश शर्मा नाम की दीवार को तोड़ना आसान नहीं होगा. कांग्रेस के लिए इस सीट पर सबसे बड़ी चुनौती चेहरा तलाशने की है. प्रभुलाल बहुगुणा को रिकॉर्ड मतों से मिली हार के बाद कांग्रेस कोई दूसरा चेहरा तलाश ही नहीं पाई जो ‘काउ’ के वजूद को टक्कर दे सके. उधर, उमेश शर्मा ‘काउ’ ने इस क्षेत्र में अपना जनसंपर्क इतना मजबूत कर लिया है कि उनको नया चेहरा उतार कर हराना आसान नहीं होगा. लोगों का रुझान बता रहा है कि कांग्रेस उम्मीदवार की राह इस बार भी पिछली बार की तरह आसान नहीं रहने वाली. इस सीट से भाजपा के कई दावेदार इस बार दावा जताएंगे लेकिन ‘काउ’ का विकल्प भाजपा के पास भी नहीं है. ‘काउ’ को इस सीट से हराना किसी भी दल के लिए आसान नहीं रहने वाला.

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