देहरादून। संवाददाता। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कलाचंद सेन का कहना है कि केदारनाथ के पास चौराबाड़ी ग्लेशियर में एक नई झील के निर्माण से केदार धाम को कोई खतरा नहीं है। सेन ने कहा कि चौराबाड़ी ग्लेशियर में नई झील बनने से केदारनाथ को संभावित खतरे के संबंध में मीडिया में आई खबरों का संज्ञान लेते हुए इंस्टीटयूट ने स्थिति का जायजा लेने के लिए मौके पर 4 सदस्यों का दल भेजा था।
चौराबाड़ी गई टीम लौटी नहीं है, रिपोर्ट आना बाकी
सेन ने बताया कि चौराबाड़ी ग्लेशियर गई टीम अभी लौटी नहीं है. उसकी रिपोर्ट आना अभी बाकी है. टीम का नेतृत्व कर रहे डीपी डोभाल ने फोन पर बातचीत के दौरान बताया कि इस झील से मंदिर को कोई खतरा नहीं है. कलाचंद सेन ने बताया कि मंदिर से 4.5 किलोमीटर ऊपर बनी यह मौसमी झील है. इतनी उंचाई पर ऐसी झीलें बन जाना प्राकृतिक बात है. जब हिमालयी ग्लेशियर पिघलते हैं तो पानी नीचे जाने के दौरान छोटे-छोटे गड्ढों में जमा हो जाता है।
ऐसी अस्थायी झीलें वाष्पीकरण से हो जाती हैं खत्म
इंस्टीट्यूट के निदेशक ने कहा कि इस तरह की झीलें सामान्यतः स्थायी नहीं होती हैं और वाष्पीकरण की प्रक्रिया से समाप्त होती रहती हैं. इससे आसपास के इलाकों को कोई खतरा नहीं होता है. उन्होंने बताया कि अगर जरूरी हुआ तो वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी की एक और टीम को भी मौके पर भेजा जा सकता है।