रुद्रपुर। पीलीभीत की एब्राड ओवरसीज फर्म के संचालकों को 34.26 लाख देकर वर्क वीजा पर न्यूजीलैंड जाना दो चचेरे-तहेरे भाइयों को महंगा पड़ गया। वीजा फर्जी पाए जाने पर न्यूजीलैंड में दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
मित्र की मदद से छूटकर आए पीड़ितों ने जब संचालकों से धनराशि वापस मांगी तो उन्हें धमकी दी गई। पुलिस ने एक्शन नहीं लिया तो पीड़ितों ने कोर्ट की मदद ली। कोर्ट के आदेश पर अब पुलिस ने धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
ये है मामला
पुलिस के मुताबिक ग्राम मल्सी रुद्रपुर निवासी बलजिंदर सिंह और मंजीत सिंह ने कोर्ट में दायर वाद में कहा था कि वे किसान परिवार से हैं। बरेली जिले के बहेड़ी स्थित ग्राम मनकरा फरदीया निवासी दलबीर सिंह व उसकी पुत्री सिमरजीत कौर, सतिंदर पाल सिंह बल व उसकी पत्नी अमनदीप कौर बल रुद्रपुर आए थे। वापसी में चारों अप्रैल 2023 में उनके घर भी आए।
ऐसे लिए झांसे में
घर आने पर दलबीर सिंह ने बताया कि सतिंदर पाल व अमनदीप उनके मित्र और पार्टनर हैं। उनका एब्राड ओवरसीज नाम से पीलीभीत में कार्यालय है। वह कई लोगों को वीजा दिलवाकर विदेश भेज चुके हैं। एक व्यक्ति को भेजने के 15 लाख रुपये लेते हैं।
दस्तावेजों के साथ दिए पैसे
उन पर विश्वास कर दोनों भाइयों ने अपने पासपोर्ट, आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि कागजात व दो लाख रुपये दिए। एक मई 2023 को सतिंदर व दलबीर ने फोन कर बताया कि वीजा आ गया है जल्द पेमेंट कर वीजा ले जाएं। पांच मई को वह आठ-आठ लाख रुपये लेकर उनके कार्यालय गए। जहां वीजा मांगा तो सतिंदर पाल सिंह ने कहा कि वीजा व पासपोर्ट दिल्ली में है। बताया कि टिकट के पैसे अलग से दे देने होंगे। इससे पहले छह लाख रुपये ट्रांसफर कर देना।
वीजा फर्जी, इमीग्रेशन ने भेजा जेल
16 जून को बलजिंदर ने अपने व मंजीत के खाते से चार-चार लाख आरटीजीएस से ट्रांसफर कर दिए। बाद में टिकट बुक कराने के नाम पर 6.80 लाख रुपये और दिए। चार अगस्त को दिल्ली आइजीआइ एयरपोर्ट के गेट पर फ्लाइट उड़ान में कुछ ही देर पहले सतिंदर के भेजे व्यक्ति ने उन्हें वीजा व टिकट दिया। जब न्यूजीलैंड पहुंचे तो इमीग्रेशन ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। बताया कि न्यूजीलैंड में उस नाम की कोई कंपनी नहीं है जिसका वीजा उनके पास है। जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया।
मित्र ने की मदद, वापस भिजवाया दिल्ली
जेल में रहते मंजीत ने अपने पड़ोसी गांव करतारपुर के रहने वाले मित्र गगनदीप सिंह को बुलाया। गगन अपने साथ वकील को लेकर आया और लगभग 1.47 लाख खर्च कर दोनों को छुड़वा कर वापस दिल्ली भिजवाया। जब दोनों लौटे तो वीजा फर्म संचालकों से संपर्क किया मगर वे उन्हें ही धमकाने लगे।