यमुना घाटी को पृथक जिले का इंतजार

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उत्तरकाशी।    यमुना व टौंस घाटी क्षेत्र के सैकड़ों गांव आज भी विकास की मुख्य धारा से नहीं जुड़ सके हैं। यही वजह है कि इस क्षेत्र को अलग जनपद बनाने की मांग 80 के दशक से चली आ रही है। लोकसभा से लेकर विधानसभा के चुनाव में यह मांग जोर पकड़ लेती है।

नौगांव, पुरोला व मोरी विकासखंडों की जिला मुख्यालय से दूरी डेढ़ सौ किलोमीटर से अधिक है। जिला मुख्यालय में संचालित होने वाली अधिकांश योजनाएं इन गांवों तक नहीं पहुंच पाती है। जो पहुंचती है उनकी गति बेहद धीमी हो जाती है। बरसात और शीतकाल के समय जिला मुख्यालय तक आने में लोगों के पसीने छूट जाते हैं।
यही वजह है कि अस्सी के दशक में यूपी सरकार में मंत्री रहे स्व. बर्फियालाल जुवांठा की अगुआई में इस क्षेत्र को अलग जिला बनने के बाद यह मांग कुछ तेज हुई। जिसमें उत्तरकाशी जनपद से पुरोला, नौगांव, मोरी के अलावा देहरादून जनपद का त्यूणी, चकराता का क्षेत्र व टिहरी जनपद का जौनपुर क्षेत्र मिलाकर जिला बनाने की वकालत की गई। पृथक जिले को लेकर नौगांव, बड़कोट, पुरोला व मोरी में राज्य गठन के बाद से लेकर अभी तक कई बार आंदोलन हो चुके हैं। हालांकि पूर्व की भाजपा सरकार के समय पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की ओर से चार जिलों की घोषणाओं में यमुनोत्री जिला भी शामिल था। यह घोषणा फिर से ठंडे बस्ते में चली गई और पृथक जनपद बनने का इंतजार फिर से इस घाटी के लोगों को दे गई। लोकसभा चुनाव की घंटी बजते ही फिर से जिला बनाने की मांग ने जोर पकड़ लिया है।

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