आइआइएम के सहयोग से अल्‍मोड़ा के परिवर्धन तैयार कर रहे भांग का तेल, बिक रहा हजारों रुपये लीटर

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काशीपुर। चटनी, पिसा भांग नमक (पिसी नूण) और सब्जी के स्वाद को बढ़ा देने वाला तथा रस्सी बनाने में प्रयुक्त होने वाला भांग अब आमदनी का बड़ा जरिया भी बनने जा रहा है। आइआइएम से प्रशिक्षित अल्मोड़ा निवासी युवा परिवर्धन डांगी ने अपने साथ-साथ किसानों की आय में कुछ ऐसा परिवर्तन कर दिखाया है। भांग के बीज से औषधियुक्त तेल निकालने के आइडिया को मूर्त रूप दे रहे परिवर्धन भांग उत्पादकों के लिए बड़ी उम्मीद जगा रहे हैं। उत्तराखंड में प्रचुर मात्रा में होने वाली भांग की खेती के लिहाज से यह स्टार्टअप न केवल पलायन को रोकेगा बल्कि लोकल फार वोकल का सपना भी सच कर रहा है।

भारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम) काशीपुर में फाउंडेशन फार इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप (फीड) के साहस प्रोग्राम में परिवर्धन डांगी ने भांग बीज से तेल का प्रोडक्शन कर किसानों के लिए नया रास्ता दिखाया। हैम्प सीड आयल में ओमेगा-3 व ओमेगा-6 की मौजूदगी के चलते अंतरराष्ट्रीय व भारतीय बाजार इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। ओमेगा-3 व 6 हृदय रोग व त्वचा संबंधी रोगों के लिए लाभकारी होता है।

बदल जाएगी किसानों की किस्मत
परिवर्धन का कहना है कि उत्तराखंड उन चुनिंदा राज्यों में हैं जहां अब भांग की खेती वैधानिक की जा सकती है। भांग की पत्तियों से चरस बनने के चलते इसका नकारात्मक रूप अब आयल प्रोडक्शन से किसानों की किस्मत बदल देगा। पहाड़ में वर्षों से रस्सी बनाने के लिए भांग के रेशे प्रयुक्त होते हैं। साथ ही चटनी और पिसे हुए भांग वाले नमक से बेहतरीन स्वाद मिलता है।

गुजरात में पढ़ाई के दौरान आया विचार
भांग के बीज से औषधियुक्त तेल निकाल कर उद्यमिता विकसित करने का विचार परिवर्धन को 2016 में राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान गांधीनगर गुजरात में पढ़ाई करने के दौरान आया। इस बीच उत्तराखंड सरकार की ‘भांग नीति 2016’ भी प्रभाव में आ गई। अपनी जड़ो से जुड़कर गांव में ही कुछ नया करने के मकसद से इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। परिवर्धन कहते हैं कि जुलाई 2019 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना का विज्ञापन देखकर मैंने आवेदन किया और अपने स्टार्टअप आइडिया को आइआइएम काशीपुर के समक्ष प्रस्तुत किया।

इसके बाद अपने गांव खाई कट्टा (तिखून कोट) डांगीखोला अल्मोड़ा में एक छोटी यूनिट स्थापित की। आइआइएम काशीपुर से प्रशिक्षण लेने के बाद शुरू किए गए स्टार्टअप को न्योली इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड नाम दिया है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 2019 में एक हजार लीटर भांग का तेल बनाने के लक्ष्य पर काम जारी है। करीब 150 किसानों को साथ जोड़ा है। खेती, प्रोसेसिंग और पैकिंग से लेकर मार्केटिंग तक में सभी आर्थिक रूप से लाभान्वित हो रहे हैं। जैसे-जैसे रफ्तार मिलेगी स्थानीय लोग छोटी-मोटी नौकरी के लिए बाहर जाने की बजाय खुद खेती कर आत्मनिर्भर बन सकेंगे। अंतरराष्ट्रीय बाजार में हैम्प सीड आयल की कीमत 1500 से 3000 हजार रुपये प्रति लीटर है। मेले व उत्सवों में स्टाल लगाने के अलावा अपनी वेबसाइट के जरिये भी प्रोडक्ट की बिक्री करने लगे हैं। कुछ कंपनियों से मार्केटिंग के लिए भी संपर्क हुआ है।

आइआइएम काशीपुर के सीईओ फीड प्रोग्राम शिवेन दास  ने बताया कि परिवर्धन का प्रोजेक्ट पलायन की रफ्तार को रोकेगा। कृषि क्षेत्र को व्यवसायिक बनाने में यह स्टार्टअप काफी अहम साबित होगा। उत्तराखंड ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों में भी किसानों को बेहतर आमदनी हो सकेगी। कृषि मंत्रालय से फंड मंजूरी के लिए भी परिवर्धन का प्रोजेक्ट भेजा गया। जिसमें 24 लाख में से पहली किश्त मिल भी गई है।

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