रानीखेत नगर में सुबह स्कूल जा रही एक छात्रा पर बंदरों ने हमला कर दिया। बंदरों को देख छात्रा ने वहां से दौड़ लगा दी। इस दौरान खाई में गिरने से वह चोटिल हो गई। आननफानन उसे अस्पताल लाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद उसे छुट्टी दे दी गई।
शुक्रवार को मंगचौड़ा निवासी अंजलि महरा सुबह अपने स्कूल जा रही थी। घात लगाए बैठे बंदरों के झुंड ने छात्रा पर हमला कर दिया। बंदरों से बचने के लिए छात्रा ने वहां से दौड़ लगा दी। दौड़ने के दौरान वह राय स्टेट में सड़क से खाई में जा गिर गई। जिससे उसे चोट आ गई। सूचना मिलने पर परिजन मौके पर पहुंच गए। परिजनों ने उसे रानीखेत उप जिला चिकित्सालय पहुंचाया। जहां उसका उपचार किया गया। इस घटना से क्षेत्र में दहशत का माहौल है। लोगों में वन विभाग के खिलाफ आक्रोश भी है। लोगों का कहना है कि क्षेत्र में बंदरों का आतंक है लेकिन फिर भी वन विभाग इससे निजात पाने के लिए ठोस उपाय नहीं कर रहा है। हेम भट्ट, दिनेश चंद्र, दीपक बोरा, दीपा पाठक आदि ने बंदरों के आतंक से निजात दिलाने की मांग की।
बंदरों ने दो माह में 35 लोगों पर हमला कर जख्मी किया
अल्मोड़ा में पहाड़ में तेंदुए तो आतंक का पर्याय बने ही थे। अब बंदरों के उत्पात से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में राह चलना मुश्किल हो गया है। बंदरों ने बीते दो माह में 35 से अधिक लोगों पर हमला कर जख्मी किया है। वन विभाग में बंदरों के काटने से मुआवजे के तीन मामले दर्ज हुए हैं।
नगर के ढुंगाधारा, एनटीडी, रानीधारा, धारानौला, सुनारीनौला, लक्ष्मेश्वर, जाखनदेवी, दुगालखोला, ख्त्याड़ी, नरसिंहबाड़ी समेत जिले के लमगड़ा, ताकुला, भैंसियाछाना समेत कई विकासखंडों में बंदरों का उत्पात बढ़ गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में बंदरों ने खेती चौपट कर दी है तो नगर में इन्होंने लोगों का राह चलना मुश्किल हो गया है। राहगीरों के हाथ से सामान झपटना तो शहर में आम है। जिन क्षेत्रों में मंदिर है उन क्षेत्रों में बंदरों का उत्पात और अधिक है। बच्चे भी बंदरों के डर से घरों में कैद रहते हैं। छतों में सुखाने के लिए डाले गए कपड़े भी बंदर उठा ले जाते हैं।
विभाग लगातार बंदरो को पकड़ने का काम कर रहा है और अल्मोड़ा रेस्क्यू सेंटर छोड़ रहा है। लोगो को भी सजग होना पड़ेगा।- तापस मिश्रा, वन क्षेत्राधिकारी रानीखेत।