गरुड़। बंदरों के आतंक से परेशान ग्रामीणों ने ऐतिहासिक गांधी चबूतरे पर प्रदर्शन किया। उन्होंने अब आरपार की लड़ाई लड़ने का एलान किया। शीघ्र बंदरों की समस्या से निजात नहीं मिली,तो 10 फरवरी को सड़कों पर जन सैलाब उतरेगा।
ऐतिहासिक गांधी चबूतरे पर सिविल सोसायटी के तत्वाधान में आयोजित जन सभा आयोजित की। संयोजक एडवोकेट डीके जोशी ने कहा कि कत्यूर घाटी में बंदरों ने काश्तकारों व व्यापारियों के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं।बंदरों का उत्पात आए दिन बढ़ता ही जा रहा है।
बंदर कर रहे परेशान
एक ओर जहां खेती चौपट हो रही है, वहीं छोटे बच्चों की सुरक्षा का भी संकट पैदा हो गया है।बंदरों का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि काश्तकारों का खेती से मोहभंग होता जा रहा है।खेतों को नुकसान करने के साथ-साथ बंदर महिलाओं एवं बच्चों पर भी हमले कर रहे हैं।बंदरों ने साग-सब्जी और खेती सब चौपट कर दी है। बंदरों का झुंड घरों के अंदर घुसकर सामान ले जा रहा है।
इन लोगों ने किया प्रदर्शन
प्रदर्शन का संचालन चंद्रशेखर बड़सीला ने किया। इस दौरान वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता हरीश जोशी, देवकीनंदन जोशी, हेम चंद्र पांडे, साहित्यकार मोहन जोशी, ग्राम प्रधान संगठन के ब्लॉक अध्यक्ष रविशंकर बिष्ट, किसान संगठन के जिलाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद, व्यापार संघ टीटबाजार के अध्यक्ष प्रेम सिंह नेगी, ग्राम प्रधान कृपाल दत्त लोहुमी, भोला दत्त पांडे समेत विभिन्न गांवों के ग्राम प्रधान, व्यापारी आदि मौजूद थे।
जन गीतों से लोगों को किया जागरूक
कवि मोहन जोशी ने अपने जनगीतों से लोगों को जागरूक किया। उन्होंने बंदरों की समस्या पर एक से बढ़कर एक गीत सुनाकर जनसभा में लोगों को बांधे रखा। बंदर भगाओ खेती बचाओ जन अभियान के संयोजक एडवोकेट डीके जोशी ने बताया कि अब 24 जनवरी से गांव-गांव जाकर वे इस मुहिम को तेज करने के लिए गांव-गांव जाकर अलख जगाएंगे। उन्होंने लोगों से बढ़-चढ़कर आगे आने की अपील की।