बागेश्‍वर की पहाड़ियों पर ले सकेंगे पैराग्लाइडिंग का लुत्‍फ

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देहरादून। साहसिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए जिला पर्यटन विभाग ने संभावनाएं तलाशी हैं। इसके तहत पैराग्लाइडिंग के प्रशिक्षक प्रसिद्ध पायलट जगदीश जोशी द्वारा पैराग्लाइडिंग के लिए उपयुक्‍त स्‍थल की तलाश की गई। पिछले दिनों जिला मुख्यालय के नैल गांव की पहाड़ी से पैराग्लाइडिंग उड़ान का ट्रायल किया गया, जो सफल रहा। ऐसे में पर्यटन विभाग अनलाक में साहसिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए इस स्‍थल को विकसित करने की प्‍लानिंग पर काम कर रहा है। इससे बागेश्‍वर के पिंडर घाटी व कौसानी आदि जगहों पर आने वाले पर्यटक यहां आंकर पैराग्‍ला‍इडिंग का लुत्‍फ भी उठा सकेंगे।

लाकडाउन से साहसिक खेल पूरी तरह बंद थे। अनलाक में साहसिक खेलों से जुड़े लोग आगे आने लगे हैं। नैल की पहाड़ी पर उड़ान भी सफल हो गई है। यहां से पैराग्लाइडर सीधे द्यांगण गांव के खेतों में उतर सकेंगे। 17 कुमाऊं से सेवानिवृत्त फौजी और शिक्षक जगदीश जोशी और उनकी टीम साहसिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए काफी बेहतर काम कर रही है। इन लोगों को प्रोत्साहन देकर पैराग्लाइंडिंग को ऊंचा मुकाम दिलाया जा सकता है। इससे स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। पायलट जगदीश जोशी ने बताया कि इससे पहले जिले में जालेख, दुलम, मालता की पैराग्लाइडिंग होती रही है। नवंबर में पैराग्लाइडिंग का बेसिक प्रशिक्षण दिया जाना है। इसके लिए देशभर से प्रशिक्षु पहुंचेंगे। इसके लिए नई साइटों का चयन किया जा रहा है।

बारेश्वर में पिछले चार साल से पैराग्लाइडिंग की गतिविधियों का संचालन कर रहे रिटायर्ड फौजी जगदीश जोशी ने बताया कि जून और जुलाई को छोड़कर सालभर पैराग्लाइडिंग होती थी। एक माह में करीब 15-20 उड़ानें होती थीं। सैलानी भी इससे जुड़े थे लेकिन इस बार एक भी व्यावसायिक उड़ान नहीं हुई। यानी कि कोरोना की मार इस साहसिक खेल पर भी पड़ी।

कीर्ती चंद्र आर्य, जिला पर्यटन अधिकारी, बागेश्वर ने बताया कि अनलाॅक में सहासिक खेलों को लेकर पैराग्लाइडिंग के क्षेत्र में ट्रायल किए जा रहे हैं। गत दिनों नैल की पहाड़ी पर ट्रायल सफल रहा है। दीपावली के बाद पैराग्लाइडिंग का प्रशिक्षण आदि भी कराए जाने की अनुमति ली जा रही है। यदि सबकुछ ठीक रहा तो साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में जिले को नई पहचान मिलेगी।

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