बागेश्वर : उत्तराखंड के पर्वतीय जिले बागेश्वर में सन 2000 में तीन हजार रुपए के साथ शुरू किया गया कारोबार आज आठ करोड़ रुपए के एनुअल टर्नओवर तक पहुंच गया है। यह सब संभव हुआ हेम पंत की लगन, निष्ठा और सही रणनीति से। पर्वतीय उत्पादों को उन्होंने आज ग्लोबल ब्रांड बना दिया है। उनकी कोशिश और सफलताओं का ही नतीजा है कि कुमाऊं के काश्तकार आज अपनी उपज का बेहतर मूल्य पा रहे हैं। हेम ने अपनी फैक्ट्री में तकरीबन 55 कर्मचारियों को रोजगार भी दे रखा है। तो दर्जनों महिला समूह और सैकड़ों किसान आज उनसे सीधे तौर पर जुड़े हैं।
पहाड़ी उत्पाद को नाम दिया हिम आर्गेनिक
बागेश्वर जिले के वज्यूला निवासी हेम पंत ने वर्ष 2000 में तीन हजार 470 रुपये से पहाड़ के जैविक उत्पादन का कारोबार शुरू किया। शुरुआती दिनों में वह अपने उत्पाद मेले और बाजारों में खुद लेकर जाया करते थे। धीरे-धीरे दूसरे राज्यों में सप्लाई शुरू की और कारोबार चल निकला। उसके बाद उन्होंने अपने उत्पाद को हिम आर्गेनिक नाम दिया और मार्केटिंग का नया तरीका अपनाया। खुद की फैक्ट्री में पैकिंग और अपने ब्रांड का लेबल लगाकर उत्पादों की सप्लाई शुरू की। आज उनके कारोबार का टर्नओवर आठ करोड़ पहुंच गया है, जिसे 2025 तक 50 करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।
मार्केटिंग का स्मार्ट तरीका
शुरुआती दिनों में हेम अपने उत्पाद बाहर बेचने के लिए खुद लेकर जाया करते थे। जिसके बाद धीरे-धीरे कर उनके संबंधों का दायरा बढ़ने लगा। जिसके बाद उन्होंने बाहर स्टोर खोलने पर विचार किया। जिसमें अच्छे-खासे इन्वेस्मेंट की जरूरत होती। फिर उन्हें एमएलएन यानी मल्टी लेवल मार्केंटिग के बारे में पता चला। मार्केटिंग का ये आइडिया उन्हें बेहतर लगा। इसके तहत उन्होंने पहाड़ी उत्पादों की मार्केटिंग के लिए लोगों की चेन बनानी शुरू की। अब देश के कई राज्यों में उनका नेटवर्क फैल चुका है। कई राज्यों में उनके उत्पादों की सप्लाई हो रही है। लोग खुद कमीशन के आधार पर उत्पादों का मार्केट मना रहे हैं।
24 गांवों में जैविक खेती, 150 महिला समूह जुड़े
पहाड़ी उत्पादों के कारण हेम का कारोबार निरंतर बढ़ता जा रहा है। बताते हैं कि कोविड के दौरान इसकी डिमांड और बढ़ गई है। उनकी फैक्ट्री में 55 कर्मचारी काम कर रहे हैं। क्षेत्र के तीस हजार किसानों की आर्थिकी भी मजबूत हो रही है। इसके अलावा 24 गांवों में जैविक खेती हो रही है। 150 महिला समूह फैक्ट्री से जुड़ चुकी हैं। इतना ही नहीं पहाड़ में सीमित हो रही खेती का रकबा भी बढ़ा है और किसानों की आय दोगुनी हो रही है। पुरड़ा गांव के करीब उन्होंने फैक्ट्री का निर्माण किया है। जहां पर जैम, अचार, शहद, नमकीन आदि का उत्पादन हो रहा है। बागेश्वर जिले के अलावा अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चमोली आदि जिले के कास्तकार भी सीधे तौर पर उनसे जुड़ गए हैं।
ये हैं जैविक उत्पाद
हिम आर्गेनिक में राजी, लाल चावल, झोगरा, हल्दी सिसूना, अजार, मसाले, धनिया, अलसी, सोयाबीन, भट, मसूर, गहत, चौलाई, राजमा, बुरांश-टी आम, मिर्च, लहसून अदरक का अचार, संतरा, माल्टा का जूस आदि ब्रांड के रूप में बेच रही है और यह सभी उत्पाद जैविक हैं। इन पर्वतीय उत्पादों की सप्लाई बंगाल, हैदराबाद, आंध्र प्रदेश, यूपी, मुंबई, दिल्ली एनसीआर और उत्तराखंड के करीब सभी जिलों में हिम आर्गेनिक के जैविक उत्पाद खरीदे जा रहे हैं। मडुवा, भट्ट के विस्किट और नमकीन भी डिमांड बढ़ी है।
50 करोड़ तक कारोबार पहुंचाने का लक्ष्य
हिम आर्गेनिक के निदेशक हेम पंत ने बताया कि शुरुआत में पूंजी नहीं थी। धीरे-धीरे कारोबार को बागे बढ़ाया गया। देखा कि बाहर पर्वतीय उत्पादों की डिमांड अच्छी-खासी है। जिसके बाद पूरा फोकस इस पर दिया। अब उनके कारोबार में पत्नी और उनके दो बेटे भी सहयोग करते हैं। 2025 तक उन्होंने अपने कारोबार को 50 करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। वहीं उद्योग महाप्रबंधक जीपी दुर्गापाल ने बताया कि विभाग उद्यमियों को हरसंभव मदद कर रहा है। हिम आर्गेनिक का उत्पादन पुरड़ा में हो रहा है। जैविक उत्पाद डिमांड के अनुसार बनाए जा रहे हैं। चाय, नमकीन, जैम, शहद, अचार आदि का काम वहां बेहतर ढंग से हो रहा है।