ग्लैंडर्स नेगेटिव रिपोर्ट दिखाने के बाद ही यात्रा मार्ग पर चलेंगे घोड़े-खच्चर

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केदारनाथ धाम और हेमकुंड साहिब की तीर्थयात्रा के दौरान घोड़े-खच्चरों के संचालन से पहले संचालकों को अपने घोड़े-खच्चरों की एक माह की ग्लैंडर्स नेगेटिव रिपोर्ट दिखानी जरूरी होगी। रिपोर्ट दिखाने के बाद ही घोड़े-खच्चरों को यात्रा मार्गों पर संचालन की अनुमति दी जाएगी। चमोली मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने सभी घोड़ा-खच्चर संचालकों को जगह-जगह लगाए जाने वाले कैंपों में घोड़े-खच्चरों के ग्लैंडर्स की जांच के भी निर्देश दिए हैं।

केदारनाथ धाम के पैदल मार्ग पर लगभग 8600 और हेमकुंड साहिब पैदल मार्ग पर 1200 घोड़े-खच्चरों का संचालन किया जाता है। साथ ही कई घोड़े-खच्चर भी यहां से केदारनाथ जाते हैं। वर्ष 2022 में केदारनाथ पैदल मार्ग पर लगभग 340 और हेमकुंड साहिब मार्ग पर 24 घोड़े-खच्चरों की मौत हुई थे। इस बार प्रशासन यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों के संचालन में सावधानी बरत रहा है। केदारनाथ मार्ग पर जिला पंचायत तो हेमकुंड साहिब मार्ग पर ईडीसी (इको विकास समिति) घोड़े-खच्चरों का संचालन करती है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डाॅ. प्रलयंकरनाथ ने बताया कि जिले के समस्त पशु चिकित्साधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्र में कैंप लगाकर घोड़े-खच्चरों का ब्लड सैंपल लेने के निर्देश दिए हैं। यात्रा के लिए ग्लैंडर्स की नेगेटिव रिपोर्ट जरूरी है।

डीएम ने किया आग्रह

रुद्रप्रयाग डीएम की ओर से पौड़ी, टिहरी, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर और पिथौरागढ़ के जिला प्रशासन को पत्र के माध्यम से अपने-अपने जिलों में घोड़े-खच्चरों की ग्लैंडर्स रिपोर्ट जारी करने का आग्रह किया गया है।

निजमुला घाटी में कराया जा रहा घोड़े-खच्चरों का बीमा

गोपेश्वर। निजमुला घाटी के निजमुला बाजार में कैंप लगाकर घोड़े-खच्चरों का बीमा कराया जा रहा है साथ ही उनका ब्लड सैंपल भी लिया जा रहा है। जिला पंचायत के प्रतिनिधि भरत सिंह राणा ने बताया कि अभी तक 150 घोड़े-खच्चरों का बीमा किया जा चुका है। साथ ही खून की जांच भी कराई जा रही है।

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