जोशीमठ। ऋषिगंगा में जल प्रलय के बाद तपोवन जल विद्युत परियोजना की निर्माणाधीन सुरंग में फंसे तीन इंजीनियरों समेत 35 कर्मचारियों तक पहुंचने में सुरंग के जरिए भारी मात्रा में आ रहा मलबा बचाव दल के समक्ष बड़ी बाधा बनकर सामने आया है। अभी तक आपदा में 170 लोग लापता हैं। 34 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं, जिनमें से नौ लोगों की शिनाख्त हो चुकी है। 12 मानव अंग क्षत-विक्षत हालत में मिले हैं। हेलीकॉप्टर से लगातार नीती घाटी के गांवों में राहत सामग्री वितरित की जा रही हैं।
शिनाख्त के लिए 72 नहीं 96 घंटे सुरक्षित रखे जाएंगे शव
चमोली आपदा में बचाव अभियान के दौरान बरामद हो रहे शवों को शिनाख्त के लिए 72 घंटे के स्थान पर 96 घंटे सुरक्षित रखा जाएगा। दूसरे राज्यों के परिजन होने के कारण राज्य सरकार ने पहचानके लिए एक दिन बढ़ाया है। मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने इसकी पुष्टि की है।
डीएनए सैंपलिंग में एफएसएल की ली जा रही मदद
डीआईजी नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि बरामद शवों की डीएनए सैंपलिंग और संरक्षण के लिए राज्य एफएसएल की भी मदद ली जा रही है। सभी मानदंडों का पालन हो रहा है। बरामद शवों को मोर्चरी कर्णप्रयाग, जोशीमठ और गोपेश्वर में रखा गया है। आपदा में लापता हुए लोगों की सूची व बरामद हुए शवों की पहचान के लिए अन्य राज्यों की पुलिस से भी लगातार संपर्क किया जा रहा है। शवों से मिले आभूषण, टैटू व अन्य पहचान चिन्हों की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कर उन्हें सुरक्षित रखा जा रहा है। चमोली में स्थापित कंट्रोल रूम के नंबर 01372-251487 और 9084127503 जारी किए गए हैं।