उत्तराखंड वन विभाग की शोध शाखा की ओर से ऑर्किड के संरक्षण के लिए चमोली जिले में गोपेश्वर के समीप खल्ला गांव में ऑर्किड पार्क स्थापित किया गया है। यह ऑर्किड पार्क उत्तर भारत का पहला पार्क है जो खल्ला गांव में है।शुक्रवार को वन शोध शाखा के मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी और वानस्पतिक सर्वे ऑफ इंडिया के संयुक्त निदेशक डॉ. एसके सिंह ने संयुक्त रूप से इसका उद्घाटन किया। ऑर्किड विशेषज्ञ डा. एसके सिंह ने कहा कि चमोली के मंडल क्षेत्र में ऑर्किड की 48 प्रजातियां खोजी गई हैं।ऑर्किड वनस्पति जगत का सुंदर पुष्प है, जो अपने विशिष्ट औषधीय गुणों के साथ ही अपने अद्भुत रंग-रूप, आकार एवं आकृति तथा लंबे समय तक ताजा बने रहने के गुण के कारण अंतरराष्ट्रीय पुष्प बाजार में विशेष स्थान रखता है।प्राचीन काल से ही ऑर्किड की चार प्रजातियों जीवक, ऋषभक, रिद्धि और वृद्धि का प्रयोग च्यवनप्राश बनाने के साथ ही कई असाध्य रोगों को दूर करने में किया जाता है। उन्होंने कहा कि ऑर्किड स्वरोजगार का एक अच्छा साधन बन सकता है।
मुख्य वन संरक्षक (वन अनुसंधान) संजीव चतुर्वेदी ने कहा कि इस पार्क का मुख्य उद्देश्य राज्य में आर्किड के संरक्षण में जन सहभागिता सुनिश्चित करने के साथ ही इसे स्वरोजगारोन्मुखी बनाना भी है।इससे स्थानीय स्तर पर कृषिकरण के जरिये आय के नए स्रोत विकसित किए जा सकेंगे। इस मौके पर ऑर्किड सोसाइटी का गठन भी किया गया। इस मौके पर सीपी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र के प्रबंध न्यासी ओम प्रकाश भट्ट, मनोज नेगी, मंगला कोठियाल, वन सरपंच गोविंद बिष्ट, ग्राम प्रधान अरविंद बिष्ट, आदि मौजूद थे। संचालन विनय सेमवाल ने किया।देश में ऑर्किड की कुल 1,256 प्रजातियां हैं। इनमें 388 प्रजातियां खतरे की जद में हैं। उत्तराखंड में ऑर्किड की 238 प्रजातियां हैं। प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण मंडल घाटी में अभी तक इसकी 48 प्रजातियां पाई गई हैं।