इस वर्ष चारधाम यात्रा के दौरान बदरीनाथ धाम और आसपास से 170 टन अजैविका कूड़ा निकला। इसमें से 100 टन कूड़ा बेचकर नगर पंचायत बदरीनाथ ने लगभग 8 लाख रुपये की कमाई की है। इसके अलावा नगर पंचायत ने ईको पर्यटन शुल्क से 1.76 करोड़ रुपये की कमाई की है। बदरीनाथ धाम में साफ-सफाई और ईको पर्यटन का जिम्मा नगर पंचायत बदरीनाथ संभालता है।
गत वर्ष चमोली जिला प्रशासन की पहल पर देश के प्रथम गांव माणा में सफाई और पार्किंग का जिम्मा भी नगर पंचायत को सौंपा गया। इसके अलावा बीकेटीसी के सफाई कर्मियों की ओर से मंदिर परिसर की साफ-सफाई में हीला-हवाली की गई जिसके बाद मंदिर क्षेत्र की साफ-सफाई भी नगर पंचायत ही कर रहा है।
नगर पंचायत ने इस वर्ष ईको पर्यटन शुल्क के तहत हेली कंपनियों से 27 लाख 23 हजार रुपये, माणा में पार्किंग शुल्क से 29 लाख 48 हजार 80 रुपये और मंदिर समिति से 37 लाख 28 हजार रुपये की कमाई की। बदरीनाथ धाम क्षेत्र और आसपास इस वर्ष 170 टन से भी अधिक अजैविक कूड़ा एकत्रित किया गया।
170 टन से भी अधिक अजैविक कूड़ा एकत्रित किया गया
नगर पंचायत ने इसमें से 100 टन कूड़े की रिसाइकिल कर बिक्री की जिसे बेचकर 8 लाख रुपये की कमाई की। बदरीनाथ धाम नगर पंचायत के ईओ सुनील पुरोहित का कहना है कि इस यात्रा सीजन में 12 नवंबर तक 170 टन से भी अधिक अजैविक कूड़ा एकत्रित किया गया। धाम को साफ रखने के लिए सुबह से रात तक तीन बार सफाई की जाती है।
डिजिटल रिफंड सिस्टम रहा कारगर
बदरीनाथ धाम में नगर पंचायत ने प्लास्टिक उत्पादों पर क्यूआर कोड लगाने के उपरांत डीआरएस (डिजिटल रिफंड सिस्टम) प्रणाली अपनाई गई। इसके तहत श्रद्धालु व पर्यटकों को प्लास्टिक कचरा वापस लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
धाम में दुकानों से प्लास्टिक खरीदारी के समय एक रिफंडेबल डिपोजिट जमा करवाया जाता है। प्लास्टिक को उपयोग में लाने के बाद जमा करने पर उन्हें जमा की गई राशि लौटा दी जाती है। नगर पंचायत के ईओ सुनील पुरोहित ने बताया कि इस वर्ष अधिकांश श्रद्धालुओं ने इस प्रणाली को अपनाया है।