मलारी हाईवे पर रविवार को नौवें दिन भी वाहनों की आवाजाही शुरू नहीं हो पाई है। हालांकि चट्टान से भूस्खलन थमने के बाद बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) ने जेसीबी के जरिए हाईवे से बोल्डर और मलबे को हटाना शुरू कर दिया है।
देर शाम तक बीआरओ ने नीती घाटी के 50 ग्रामीणों को पैदल रास्ते से आवाजाही कराकर गंतव्य को भेजा। हालांकि हाईवे बंद होने से नीती घाटी के 16 गांवों के करीब 400 ग्रामीण अभी भी अपने गांवों में ही कैद हैं। ऐसे में गांवों में राशन पहुंचाने और जरूरतमंदों के लिए हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराया गया है। पिथौरागढ़ से गौचर पहुंचे एसडीआरएफ के हेलीकॉप्टर से सोमवार को नीती घाटी में हेली रेस्क्यू कार्य शुरू किया जाएगा
मलारी हाईवे पर सुरांईथोटा और तमक गांव के बीच 14 अगस्त से चट्टान से भूस्खलन शुरू हुआ था। हाईवे बंद होने से नीती घाटी के तमक, जेलम, द्रोणागिरी, कागा, गरपक, जुम्मा, भापकुंड, कोषा, मलारी, कुरकुटी, महरगांव, बांपा, गमशाली और नीती गांव के भोटिया जनजाति के ग्रामीणों की आवाजाही ठप है। रविवार को धूप खिलने से दोपहर बाद चट्टान से पत्थरों के छिटकने का सिलसिला थमा तो बीआरओ की जेसीबी ने मलबा हटाने का काम शुरू किया।
बीआरओ ने हाईवे किनारे पैदल रास्ता तैयार कर जोशीमठ और नीती घाटी साइड में फंसे करीब 50 ग्रामीणों की आवाजाही कराई। हालांकि अभी भी चट्टान पर अटके बोल्डरों से खतरा बना हुआ है। कभी भी बोल्डर छिटककर हाईवे पर आ सकते हैं। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंद किशोर जोशी का कहना है कि नीती घाटी में अब हेली सेवा से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की जाएगी और जरूरतमंद ग्रामीणों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया जाएगा।