चमोली। ऋषि गंगा में आई बाढ़ के बाद से तपोवन की सुरंग में मलबे के बीच 35 लोग और एनपीटीसी के तीन वाहन भी फंसे हुए हैं। बीआरओ की ओर से रैणी गांव में मलारी हाईवे पर वैली ब्रिज बनाने का काम जारी है। बाहरी प्रदेशों से तपोवन और रैणी में पहुंचे लापता लोगों के परिजन अभी भी सुरंग से अपनों के सुरक्षित बाहर निकल जाने का इंतजार कर रहे हैं।
दो व्यक्ति जीवित मिले
चमोली की जिलाधिकारी स्वाति भदौरिया ने बताया कि अभी तक 36 शव बरामद हुए हैं और दो व्यक्ति जीवित मिले हैं।
सुरंग के अंदर काम कर रहे लोग कहां पर हैं, यह कहना मुश्किल
तपोवन परियोजना के निदेशक उज्जवल कांति भट्टाचार्य, तपोवन-विष्णुुगाड व लाता-तपोवन जल विद्युत परियोजना के महाप्रबंधक राजेंद्र प्रसाद अहिरवार का कहना है कि ऋषि गंगा की जल प्रलय के बाद राहत व बचाव कार्य में लगे अधिकारियों ने कहा कि हमारे पास मैन पावर और मशीनें तो हैं, लेकिन सुरंग के अंदर तक पहुंचने में बहुत दिक्कतें आ रही हैं। सुरंग के अंदर काम कर रहे लोग कहां पर हैं, यह कहना मुश्किल है। लक्ष्य किसी तरह मलबे को हटाकर फंसे लोगों तक पहुंचना है।
आपदा में लापता हुए हैं कुल 204 लोग
चमोली जिले के रैणी में राहत बचाव कार्य तड़के से जारी है। राज्य सरकार के मुताबिक अभी तक आपदा प्रभावित क्षेत्रों से 36 शव बरामद हो चुके है। वहीं आपदा में 204 लोग लापता हैं।
राहत बचाव कार्य जारी, 35 लोगों के साथ एनपीटीसी के तीन वाहन भी सुरंग में फंसे
सात फरवरी को उत्तराखंड के चमोली जिले में आपदा ने हाहाकार मचा दिया था। शुक्रवार को छठवें दिन भी ऋषिगंगा में तपोवन सुरंग में फंसे 35 लोगों को बचाने का काम जारी है।
ऋषि गंगा जल संग्रहण क्षेत्र में ही रविवार को आपदा आई थी। इसमें दो जल विद्युत परियोजनाएं तबाह हुईं और कई लोगों को जान गंवानी पड़ी। इस जल प्रलय के पीछे हैंगिग ग्लेशियर के टूटने, हिमस्खलन, भारी मात्रा में बर्फ पिघलने आदि को कारण बताया जा रहा है।
अभी तक 36 शव बरामद हो चुके हैं। 168 लोग अभी भी लापता हैं। वहीं ऋषिगंगा के मुहाने पर झील बनने से एक बार फिर क्षेत्र में बाढ़ के हालात पैदा हो सकते हैं। शासन ने वाडिया, टीएचडीसी, एनटीपीसी और आईआईआरएस को जांच करने का आदेश दिया है।