चम्पावत : चंपावत जिले में हुई अत्यधिक मानसूनी बारिश से बड़े पैमाने पर अदरक की खेती को नुकसान पहुंचा है। सबसे अधिक नुकसान सूखीढांग में हुआ है। यहा 300 क्विंटल से अधिक फसल रोग की चपेट में आ गई है। काश्तकारों ने उद्यान विभाग से फसल को हुए नुकसान का मुआवजा देने की मांग की है।
जिले में 465 हेक्टेयर क्षेत्र में अदरक की बुआई से सालाना 4609 मीट्रिक टन पैदावार होती है। उद्यान विभाग ने इस बार काश्तकारों को 700 क्विंटल से अधिक अदरक का बीज उपलब्ध कराया था। इसके अलावा सहकारी समितियों के माध्यम से सुरक्षित किया गया बीज भी किसानों को दिया गया था। धूरा साधन सहकारी समिति के अध्यक्ष महेश चौड़ाकोटी ने बताया कि सूखीढांग क्षेत्र में लगाई गई करीब 300 क्विंटल अदरक की फसल बर्बाद हो गई है। कुछ समय से लगातार हो रही बारिश से अदरक के पत्ते पीले पड़ गए हैं।
बताया कि क्षेत्र के अधिकांश लोग अदरक बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं, लेकिन इस बार फसल खराब होने से उनके सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है। अदरक जिले की प्रमुख नकदी फसल है। सूखीढांग, अमोड़ी, स्वाला, चौमेल, बाराकोट, बर्दाखान आदि जगहों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। यहां के जैविक अदरक की मांग काफी अधिक रहती है। जिले के अन्य स्थानों पर भी इस बार अदरक को बारिश से नुकसान हुआ है।
अदरक उत्पादक काश्तकार प्रेम सिंह, मनोहर सिंह, नंदन सिंह, गोविंद सिंह, देवीदत्त गहतोड़ी, रघुवर चौड़ाकोटी, हीराबल्लभ चौड़ाकोटी आदि ने बताया कि इस बार अदरक की खेती बर्बाद होने से उनकी मेहनत पर तो पानी फिरा ही है, भविष्य की उम्मीद भी चौपट हो गई है। उन्होंने विभाग से नुकसान का मुआवजा देने की मांग की है। जिला उद्यान अधिकारी सतीश चंद्र शर्मा ने बताया कि बारिश से हुए नुकसान का जायजा लेन के लिए शीघ्र टीम का गठन किया जाएगा।