चम्पावत : प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों में तालमेल की कमी के चलते पड़ोसी देश नेपाल के ब्रह्मदेव मंडी तक टनकपुर से व्यापारियों एवं आम लोगों की आवाजाही शुरू नहीं हो पाई है। बॉर्डर खुलने की सूचना के बाद सोमवार को टनकपुर और ब्रह्मदेव से कई लोग शारदा बैराज तक पहुंचे, लेकिन वहां मौजूद एसएसबी जवानों ने उन्हें रोक दिया। एसएसबी के अधिकारियों का कहना है कि आवाजाही शुरू करने के प्रशासन के निर्णय की उन्हें कोई जानकारी नहीं है। जब तक उन्हें कोई आदेश नहीं मिलता सीमा नहीं खोली जाएगी। उधर स्वास्थ्य विभाग द्वारा सीमा पर कोविड की जांच के लिए टीम भी नहीं भेजी गई है।
कोविड के चलते टनकपुर शारदा बैराज से नेपाल के ब्रह्मदेव के लिए आवाजाही बंद कर दी गई थी। इससे दोनों देशों के बीच ब्रह्मदेव मंडी और टनकपुर से होने वाला व्यापार ठप पड़ा है। टनकपुर के व्यापारियों की मांग पर तहसील प्रशासन ने ब्रह्मदेव तक आवाजाही की अनुमति दे दी है, लेकिन इसके लिए सीमा पर आवाजाही करने वाले दोनों देशों के नागरिकों की कोविड जांच अनिवार्य की गई है। इधर आवाजाही शुरू होने की सूचना के बाद दोनों देशों के दर्जनों नागरिक सोमवार को शारदा बैराज पहुंच गए। लेकिन एसएसबी के जवानों ने उन्हें आगे नहीं बढऩे दिया।
एसएसबी के सब इंस्पेक्टर वीरभद्र सिंह ने बताया कि प्रशासन की ओर से एसएसबी को आवाजाही शुरू करने की सूचना नहीं दी गई है। जब तक उच्चाधिकारियों का आदेश नहीं मिल जाता सीमा पर सख्ती जारी रहेगी। दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग डाक्टरों की कमी के कारण शारदा बैराज पर कोविड जांच के लिए टीम नहीं भेज पाया है। संयुक्त चिकित्सालय के सीएमएस डा. एचएस ह्यांकी का कहना है कि चिकित्सकों एवं अन्य स्टॉफ की कमी के कारण टीम गठित नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि टीम गठित करने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। प्रशासन के आदेश के बाद भी आवाजाही शुरू न होने पर टनकपुर के व्यापारियों ने आक्रोश जताया है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से शीघ्र कोविड जांच के लिए टीम गठित करने की मांग की है।
शिमला से आए नेपाली मजदूर भी नहीं जा पाए
शारदा बैराज से आवाजाही शुरू होने की खबर के बाद शिमला से आए आधा दर्जन नेपाली मजदूर भी अपने देश नहीं जा पाए। भूरा राम, दशी राम, दुबली, चूलू राम आदि ने बताया कि वे हिमाचल प्रदेश के शिमला में सेब बागानों में मजदूरी करते हैं। सीमा खुलने की जानकारी के बाद वे रोडवेज की बस से यहां पहुंचे। लेकिन उन्हें शारदा बैराज से आने नहीं जाने दिया गया। बाद में ये सभी लोग वापस टनकपुर की ओर चले गए।