आयुर्वेद में सेमल का पेड़ है औषधीय गुणों से भरपूर

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देहरादून। सेमल के पेड़ को साइलेंट डाक्टर कहा जाए तो अनुचित नहीं होगा। इसके फूल, फल, छाल आदि कई बीमारियों से निजात दिलाने में कारगर होते हैं। सेमल महिलाओं के लिए तो किसी वरदान से कम नहीं होता है। इसके पत्ते रक्तशोधन का बेहतर जरिया होते हैं, जबकि जड़ को ल्यूकोरिया की बेहतर औषधि माना गया है। देहरादून के वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक डा. एसके जैन बताते हैं कि आयुर्वेद में सेमल का पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर माना गया है। इस औषधियुक्त पेड़ का अलग-अलग स्वरूप में उपयोग पेचिश, गिल्टी या ट्यूमर, कब्ज, कमर दर्द, दूध बढ़ाने और खांसी आदि के निवारण में किया जाता है।

उपयोग व फायदे

सेमल वृक्ष की छाल को पीसकर लेप लगाने से शरीर पर बने गहरे जख्म भी जल्दी भर जाते हैं
सेमल की पत्तियों के डंठल का काढ़ा बनाकर दो चम्मच पीने से अतिसार, दस्त में आराम मिलता है
सेमल की छाल या पत्तियों को घिसकर कील-मुहासों पर लगाने से वह निशान सहित गायब हो जाते हैं
पेचिश होने पर सेमल के फूल के ऊपरी छिलकों को रात के वक्त भिगोकर सुबह मिश्री मिलाकर पीना चाहिए। इससे काफी राहत मिलती है
सेमल के ताजे फल को देसी घी व सेंधा नमक के साथ सब्जी बनाकर खाने से महिलाओं में होने वाली ल्यूकोरिया बीमारी को दूर किया जा सकता है
शरीर में कहीं सूजन या गांठ बनने पर सेमल के पत्तों को पीसकर मरहम लगाने या बांधने से बहुत फायदा मिलता है और गांठ कम हो जाती है

शुरुआत के दो हफ्ते नियमित सिंचाई करें

वैसे तो सेमल के पेड़ स्वत: ही जंगलों में जगह-जगह पनप जाते हैं, लेकिन इन्हें नदियों के आसपास आसानी से देखा जा सकता है। अधिक तापमान वाले इलाकों में सेमल का पौधा लगाया जाता है। अप्रैल में इस पर फूल खिलते हैं। इसके बाद इस पर जो फल लगता है, वह केले के आकार का होता है। सेमल का पौधा लगाने के लिए करीब दो फीट गहरा गड्ढा खोदें और उसमें गोबर की खाद के साथ मिट्टी मिलाकर भरें। इसमें पौधा लगाकर पानी का हल्का छिड़काव करें। शुरुआत के दो हफ्ते तक नियमित सिंचाई करें।

रोजगार का जरिया

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में सेमल आय का जरिया बन गया है। ग्रामीण सेमल से एक सीजन में 30 से 40 हजार रुपये तक कमा लेते हैं। सेमल की सब्जी व अचार बनाया जाता है, जिस कारण यह बाजार में आसानी से बिक जाता है। आयुर्वेदिक औषधि निर्माता भी इसे खरीदते हैं।

 

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