देहरादून। सैन्य सेवा में 40 साल पूरा करने के बाद भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) के समादेशक ले.जनरल जयवीर सिंह नेगी बुधवार को सेवानिवृत्त होंगे। सैन्य सेवा में उन्हें अब तक परम विशिष्ट सेवा मेडल, अतिविशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल व विशिष्ट सेवा मेडल मिल चुका है। उन्होंने मंगलवार को अकादमी के वार मेमोरियल पर आयोजित एक सादे समारोह में पुष्प चक्र अर्पित कर शहीद सैन्य अधिकारियों को श्रद्धांजलि दी।
ले.जनरल नेगी ने 49वें समादेशक के तौर बीती एक फरवरी को इंडियन मिलिट्रीएकेडमी की कमान संभाली थी। वह मूलरूप से चमोली जिले के पोखरी विकासखंड के कमद गांव के रहने वाले हैं। प्रारंभिक शिक्षा गांव से ही करने के बाद ही ले. जनरल नेगी ने 10वीं व 12वीं की परीक्षा मेरठ के सेंटजॉन हायर सैकेंडरी स्कूल से की। उनके पिता दयाल सिंह नेगी बैंक के कार्मिक थे और मां सतेश्वरी नेगी गृहणी।
12वीं के बाद वर्ष 1977 में उनका चयन खडगवासला स्थित नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) के लिए हुआ। एनडीए के बाद भारतीय सैन्य अकादमी से प्री कमीशन मिलिट्री ट्रेनिंग पूरा कर वह जून 1981 में पास आउट होकर सेना की 16 डोगरा रेजीमेंट में कमीशंड हुए। अब तक की सैन्य सेवा के दौरान वह सेना के कई अहम पदों पर तैनात रह चुके हैं। पश्चिमी सेक्टर में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान भी उन्होंने अपनी बटालियन की कमान संभाली थी।
उत्तरपूर्व में काउंटर इंसरजेंसी, असम राइफल्स सेक्टर, लद्दाख क्षेत्र के ऊंचाई वाले क्षेत्र में डिवीजन और वेस्टर्न सेक्टर में एक स्ट्राइक कोर की जिम्मेदारी भी वह संभाल चुके हैं। कई आतंकरोधी अभियान की कमान संभालने के साथ ही कांगो में भी वह संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में तैनात भारतीय सैन्य ब्रिगेड के उप कमांडर और चीफ ऑफ स्टाफ के तौर पर तैनात रह चुके हैं।
बतौर कमांडेंट भारतीय सैन्य अकादमी की कमान संभालने से पहले ले. जनरल नेगी स्ट्रैटजिक फोर्सेस कमांड के कमांडर पदपर तैनात थे। अकादमी के बीच से गुजरने वाले चकराता मार्ग पर अंडरपास बनाने का जो मामला पिछले चार दशक से लटका हुआ था वह भी उनके ही कार्यकाल में जाकर धरातल पर उतरा है। सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद जनरल नेगी राजधानी देहरादून में ही निवास करेंगे।