देहरादून। देश में आरक्षण विरोधी आंदोलनों का नेतृत्व कर रहे राष्ट्रीय संगठनों के नेता आज राजधानी देहरादून में जुटेंगे। वे एक प्रेस कांफ्रेंस के जरिये प्रमोशन में आरक्षण और एससी-एसटी एट्रोसिटी एक्ट के विरोध में अपने विचार व्यक्त करेंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री से भी मुलाकात का समय मांगा है। अभी तक समय नहीं मिल पाया है।
उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रदेश मीडिया प्रभारी वीके धस्माना के मुताबिक कर्नाटक से आ रहे अखिल भारतीय समानता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष एम नागराज, सर्वजन हिता रक्षण समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे, मध्यप्रदेश से सपाक्स के डॉ. केएस तोमर, एल रवि, सबरजीत कौशल, जीसीडब्ल्यूए के महासचिव विजय वी घोरे, समानता मंच के राष्ट्रीय महासचिव वीपी नौटियाल, जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष दीपक जोशी, महासचिव वीरेंद्र सिंह गुसांई, कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर प्रहलाद सिंह, पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रताप सिंह पंवार व प्रदेश महामंत्री पंचम सिंह बिष्ट समेत कई अन्य लोग प्रेस कांफ्रेंस करेंगे।
सरकार हड़ताल वापस कराना चाहती है तो तत्काल करे बातचीत
वहीं उत्तरांचल (पर्वतीय) कर्मचारी शिक्षक संगठन ने कहा कि प्रदेश सरकार यदि जनरल ओबीसी कर्मचारियों की बेमियादी हड़ताल टालना चाहती है। तो वह जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन से तत्काल बातचीत करे। संगठन ने कहा कि सरकार दो मार्च से होने वाली हड़ताल को लेकर गंभीर नहीं है। यदि वह गंभीर होती तो अब तक बातचीत करके प्रमोशन से रोक हटा देती। यह बात संगठन की यमुना कालोनी स्थित बैठक में कही गई।
संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रताप सिंह पंवार की अध्यक्षता में हुई बैठक में दो मार्च से बेमियादी हड़ताल की रणनीति पर मंथन हुआ। इस अवसर पर संगठन के प्रदेश महामंत्री पंचम सिंह बिष्ट ने कहा कि सरकार ने बेमियादी हड़ताल को ईमानदारी से टालने की कोशिश करती, तो सम्मानजनक समझौता हो सकता था। सरकार ने इस मसले की गंभीरता को समझने के बजाय कर्मचारियों के दूसरे मसलों को लेकर 27 फरवरी को बैठक बुलाई। जबकि जनरल ओबीसी कर्मचारी पिछले कई महीनों से प्रमोशन से रोक हटाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
तीन दिन बाद प्रदेश में आवश्यक सेवाएं भी बंद कर दी जाएंगी
बैठक में फैसला लिया गया कि सरकार एक मार्च तक पदोन्नति में रोक नहीं हटाती है। तो सभी अधिकारी, कर्मचारी व शिक्षक दो मार्च से हड़ताल पर चले जाएंगे। सरकार फिर भी नहीं मानी तो तीन दिन बाद प्रदेश में आवश्यक सेवाएं भी बंद कर दी जाएंगी। इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी।
बैठक में मिनिस्टीरियल फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष सीनी दत्त कोठारी, प्रदेश महामंत्री पूर्णानंद नौटियाल, वाहन चालक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनंतराम शर्मा, संदीप कुमार मौर्य, गोविंद सिंह नेगी, बनवारी सिंह रावत, रमेश रमोला, सुधा कुकरेती, चंद्र मोहन सिंह राणा, बीएस कलूड़ा, सुरेंद्र प्रसाद बछेती, केदार सिंह फरस्वाण, मयंक कौशिक, मुकेश कुमाई, दीपक बिष्ट, मनोज चतुर्वेदी, रामचंद्र जोशी, शूरवीर सिंह नेगी, नीतू गैरोला, तारा मेहता, मोहित, संदीप शर्मा, सुरेंद्र मंदवाल समेत कई अन्य कर्मचारी नेता शामिल रहे।
हड़ताल पर रहूंगा, मुझे विस सत्र का नोडल अफसर न बनाएं
जनरल ओबीसी कर्मचारियों ने अपने सचिवों को पत्र लिखना शुरू कर दिया है कि वे हड़ताल पर रहेंगे, उन्हें विधानसभा सत्र में नोडल अफसर न बनाया जाए।
उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने पहले ही प्रमुख सचिवों और सचिवों से अनुरोध किया था कि बेमियादी हड़ताल के चलते विधानसभा सत्र में आरक्षित वर्ग के अधिकारी व कर्मचारियों को नोडल अफसर बनाया जाए। इधर, जनरल ओबीसी कर्मचारियों ने अपने विभाग प्रमुखों को पत्र लिखना शुरू कर दिया है। एसोसिएशन से जुड़े पदाधिकारी ने अपने सचिव को पत्र लिखकर उन्हें नोडल अफसर न बनाए जाने की अपील की है। इसी तरह के कई और अनुरोध पत्र लिखे जा रहे हैं।
बेमियादी हड़ताल की सफलता को सचल दल बनाया
उत्तराखंड सचिवालय जनरल ओबीसी अधिकारी कर्मचारी संयोजक मंडल ने बेमियादी हड़ताल में कर्मचारियों की अनिवार्य भागीदारी तय करने को लेकर एक सचल दल बनाया है।
संयोजक मंडल के संयोजक सचिव प्रदीप पपनै व जीतमणी पैन्यूली ने बताया कि सचल दल में शिव स्वरूप त्रिपाठी, व्योमकेश दुबे, निर्मल कुमार, जेपी मैखुरी, कमलेश जोशी, अनिल उनियला, पुष्कर नेगी, भूपेंद्र बसेड़ा, जीवन सिंह बिष्ट, नरेंद्र भट्ट, युक्ता मित्तल, ललित चंद्र जोशी, बची सिंह बिष्ट, राजेंद्र प्रसाद रतूड़ी शामिल हैं। यह सचल दल हड़ताल में कर्मचारियों की उपस्थिति तय करेगा।