उत्तराखंडः जल्द सुलझेगा सब इंस्पेक्टर और इंस्पेक्टर पदोन्नति का मसला

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जल्द सुलझेगा दरोगा पदोन्नति नियमावली का मसला

देहरादून। प्रदेश में तकरीबन एक वर्ष बाद एक बार फिर सब इंस्पेक्टर व इंस्पेक्टर की पदोन्नति नियमावली की राह प्रशस्त होती नजर आ रही है। पुलिस मुख्यालय द्वारा नई नियमावली का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया गया है जिस पर अब जल्द ही बैठक होने की उम्मीद जताई जा रही है। शासन स्तर पर सहमति बनने के बाद इसे कैबिनेट में संस्तुति के लिए रखा जाएगा।

नियमावली न होने के कारण वर्ष 2016 के बाद से ही पदोन्नति नहीं हो पाई है। पुलिस महकमे में इस समय दारोगा व इंस्पेक्टर पद की नियमावली अधर में लटकी हुई है। कारण यह कि शासन द्वारा वर्ष 2018 और फिर जनवरी 2019 में संशोधित की गई नियमावली पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है। दरअसल, जो नियमावली शासन ने बनाई पुलिस मुख्यालय उससे इत्तेफाक नहीं रख रहा है।

शासन की नियमावली में ज्येष्ठता सूची बनाने के लिए विभागीय चयन परीक्षा और प्रशिक्षण में प्राप्त अंकों को मिलाकर ज्येष्ठता सूची की बात कही गई। इसमें पूर्व में जारी इंटरव्यू की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया। इसमें सबसे अधिक धाधली होनी की शिकायत होती थी। शासन ने तर्क दिया कि इससे विभाग में युवा कार्यकुशल काद्दमकों को तरजीह मिलेगी। शासन की नई नियमावली में वरिष्ठता तय करने के प्रविधान पुलिस को रास नहीं आए और उन्होंने इस नियमावली को लागू नहीं किया। मामला मुख्यमंत्री दरबार तक पहुंचा।

इस पर मुख्यमंत्री ने इस पर नए सिरे से मंथन करने को कहा तो शासन ने फिर से पुलिस मुख्यालय से नियमावली मंगाई। मुख्यालय ने यह नियमावली बनाकर शासन को भेज दी है। इस नियमावली में पदोन्नति का मानक ज्येष्ठता सह श्रेष्ठता रखा गया है। इसमें सेवा अभिलेखों के 90 अंक रखे गए हैं, जिनमें सेवा अवधि, शैक्षिक योगयता, वाद्दषक मंतव्य, पुरस्कार एवं उत्तम प्रविष्टि और कोर्सेज एवं खेल के अंक भी जोड़े गए हैं। सत्यनिष्ठा, प्रतिकूल प्रविष्टि, दीर्घ दंड व लघु दंड के अंक भी काटने का प्रविधान किया गया है। अब शासन इस पर मंथन कर रहा है। मामले में अब जल्द ही गृह सचिव स्तर पर बैठक प्रस्तावित की गई है जिसके बाद इसमें आवश्यक संशोधन आदि विषय पर चर्चा होगी। और अंतिम रूप दिया जाएगा।

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