उत्तराखंडः मसूरी में गोल्डन फॉरेस्ट की 500 बीघा जमीन होगी नीलाम

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देहरादून। उत्तराखंड में गोल्डन फॉरेस्ट कंपनी में निवेश करने वाले प्रदेश के हजारों निवेशकों के लिए अच्छी खबर है। 23 साल के बाद कंपनी में डूबी उनकी रकम लौटने की उम्मीद जग गई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आयकर विभाग मसूरी के क्लिफ एस्टेट में 500 बीघा गोल्डन फॉरेस्ट की जमीन की नीलामी करने जा रहा है। इसका नोटिस जारी कर दिया गया है।

गोल्डन फॉरेस्ट कंपनी ने वर्ष 1997 में सेबी(सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) के नियमों का उल्लंघन करते हुए जमीनों की खरीद फरोख्त की। जिसमें हजारों निवेशकों ने पैसा लगाया।

देहरादून, डोईवाला, विकासनगर, मसूरी, और ऋषिकेश समेत प्रदेश के अन्य जिलों में भी गोल्डन फॉरेस्ट ने जमीन खरीदी। सेबी ने शिकंजा कसा तो कंपनी कारोबार छोड़ कर चली गई। इससे प्रदेश के हजारों निवेशकों का पैसा डूब गया। सेबी ने कंपनी के क्रियाकलापों पर रोक लगा दी थी। इसके खिलाफ कंपनी ने बांबे हाईकोर्ट में अपील की। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक चला गया।

आरक्षित मूल्य करीब 23 करोड़ रुपये
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद कंपनी को डिसॉल्व कर दिया था। कंपनी से जुड़े सभी एकाधिकार जस्टिस आरएन अग्रवाल की अध्यक्षता में बनी समिति को सौंप दिए थे। इस समिति ने आयकर विभाग के साथ मिलकर कंपनी की संपत्तियों की नीलामी शुरू की है।

आयकर विभाग की कर वसूली अधिकारी मीना बिष्ट की ओर से नीलामी की सूचना जारी कर दी गई है। इसके तहत मसूरी में क्लिफ एस्टेट की 500 बीघा जमीन नीलाम की जा रही है। जमीन का आरक्षित मूल्य करीब 23 करोड़ रुपये दिया गया है।

सरकार नहीं कर सकेगी जमीनों की बंदरबांट
गोल्डन फॉरेस्ट की जमीनों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 14 जनवरी को अहम फैसला सुनाया है। इसके तहत उत्तराखंड सरकार या प्रदेश के अधीनस्थ न्यायालय इन जमीनों के मामले में कोई भी फैसला नहीं ले सकेंगे। अभी तक गोल्डन फॉरेस्ट की जमीनों को उत्तराखंड सरकार विभिन्न विभागों को आवंटित करती आ रही थी। वहीं, इन जमीनों के कई मामले अधीनस्थ न्यायालयों में भी लंबित हैं।

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