उत्तराखंड के मैदानी इलाकों में घने कोहरे का अलर्ट, कल बारिश की संभावना

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देहरादून। उत्तराखंड में आज सुबह की शुरूआत कोहरे के साथ हुई। पहाड़ से लेकर मैदान तक कोहरे का असर दिखा। वहीं, मौसम विभाग ने आज ऊधमसिंहनगर व अन्य मैदानी इलाकों में घने कोहरे का अलर्ट जारी किया है। साथ ही बुधवार से मौसम के करवट लेने के आसार हैं। विभाग ने प्रदेश के कई इलाकों में हल्की बारिश की संभावना जताई है। 

मौसम केंद्र देहरादून के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि मंगलवार को देहरादून में मौसम सामान्य रहेगा। ऊधमसिंहनगर में कोहरे का अधिक प्रभाव रहने के आसार हैं। इससे यातायात पर भी बुरा असर पड़ सकता है। तीन फरवरी को मैदानी इलाकों में हल्की बारिश हो सकती है।

नैनीताल में कम हुआ हिमपात
नैनीताल में पिछले सालों तक जनवरी में ही कई दौर का हिमपात हो जाता था लेकिन फरवरी शुरू हो गया और इस बार बर्फबारी की दूर दूर तक उम्मीद नहीं है। मौसम विशेषज्ञों की मानें तो ऐसा पश्चिमी विक्षोभ के पूरी तरह से सक्रिय न होने के कारण हुआ है।

बता दें कि दिसंबर- जनवरी में नैनीताल और इसके आसपास के ऊंचाई वाले क्षेत्रों भवाली, मुक्तेश्वर, धानाचूली, गागर आदि क्षेत्रों में होने वाली बर्फबारी स्थानीय लोगों के साथ-साथ सैलानियों के आकर्षण का मुख्य केंद्र रहती है। बर्फबरी के दौरान बड़ी संख्या में सैलानी इन क्षेत्रों में उमड़ते हैं और पर्यटन व्यासासियों को खासा रोजगार भी मिलता है।

लेकिन इस बार मौसम का मिजाज एकदम जुदा है। जाड़ों में ठंड के बजाए दिन की चटख धूप में पसीना निकालने वाली गर्मी है, हां सुबह शाम ठ़ड जरूर पड़ रही है। वहीं जनवरी बीत गया, लेकिन बर्फबारी की कहीं कोई उम्मीद नहीं है। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो इस बार पश्चमी विक्षोभ के सक्रिय न होने के कारण यह स्थिति बनी है। विशेषज्ञ बताते हैं कि अभी दूर-दूर तक नैनीताल में हिमपात के आसार नहीं हैं।

कम बर्फबारी से दारमा में इस साल नहीं बने बड़े ग्लेशियर
दारमा घाटी के सीपू निवासी वाहन स्वामी महेंद्र सीपाल, दांतु में होम स्टे स्वामी संजय दताल ने बताया कि पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष सड़क पर कोई बड़ा ग्लेशियर नहीं बना है, हालांकि कहीं-कहीं बर्फ जमी है।

पर्यटकों के आने पर आवाजाही हो रही है। महेंद्र सीपाल ने बताया कि घाटी के अंतिम गांव सीपू, मारछा, तिदांग, गो, ढाकर, बोन, दुग्तु, सोन के खेतों और घरों की छत में एक फुट से अधिक बर्फ जमी है। शीतकाल में इन गांवों में कोई नहीं है।

उन्होंने बताया कि दारमा घाटी में गधेरे और नाले जमे हैं। कुछ स्थानों पर बड़ी नदियां भी बर्फ से ढकी हैं। पिछले साल दारमा को जाने वाली सड़क पर बड़े अस्थायी ग्लेशियर बन गए थे। इसके चलते माइग्रेशन पर जाने वाले लोगों के लिए इन ग्लेशियरों को काटना पड़ा था। 

 

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