देहरादून। उत्तराखंड में सशक्त भू-कानून बनाने और वनों पर अपने पुश्तैनी हक-हकूकों व अधिकारों की मांग अब दिल्ली में भी उठेगी। मंगलवार को उत्तराखंड के जन संगठन व राजनीतिक दल इन मांगों लेकर नई दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर उपवास पर बैठेंगे। उपवास सुबह 11 बजे से दोपहर एक बजे तक चलेगा। यह जानकारी वनाधिकार आंदोलन के संस्थापक किशोर उपाध्याय ने दी।
उक्रांद और आप युवा मोर्चा ने किया समर्थन
आम आदमी पार्टी युवा मोर्चा ने राज्य की जमीन बचाने के लिए सशक्त भू-कानून का समर्थन किया गया है। वहीं, उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय कोषाध्यक्ष मोहन काला का कहना है कि उत्तराखंड की जमीन को बचाने के लिए पार्टी संघर्ष करेगी। यहां की जमीन को बिकने नहीं दिया जाएगा। दल किसी भी ऐसे भू-कानून का विरोध करेगा, जो उत्तराखंड के अस्तित्व को नुकसान पहुंचाएगा।
युवा मांगें हिमाचल जैसा सख्त कानून
सोशल मीडिया भी किसी आंदोलन का मंच बन सकता है इसका सटीक उदाहरण उत्तराखंड में भू-कानून का विरोध है। इस मंच का सर्वाधिक उपयोग राज्य के युवा कर रहे हैं। दरअसल उत्तराखंड के कुछ युवाओं को लगता है कि उत्तराखंड में लागू मौजूदा भू-कानून राज्य के लिए मुफीद नहीं है। इस कानून का फायदा उठाकर गैरउत्तराखंडी यहां की जमीनों पर काबिज हो रहे हैं। इस कानून से उत्तराखंड में न सिर्फ कृषि और रिहायशी जमीनों की किल्लत आने वाली है, बल्कि इससे यहां की संस्कृति को भी खतरा है। लिहाजा युवाओं ने मौजूदा कानून की जगह प्रदेश में हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर सख्त भू-कानून लागू करने की मांग को लेकर अभियान शुरू किया है।
राजधानी से लड़ी जा रही भू-कानून की लड़ाई
प्रदेश में भू-कानून की मांग को लेकर भले ही प्रदेशभर में आंदोलन का दौर चल रहा हो लेकिन इसका नेतृत्व राजधानी देहरादून से ही हो रहा है। तमाम राजनीतिक दल और गैर राजनीतिक सामाजिक संगठन भू-कानून को लेकर मुखर हैं। राज्य आंदोलनकारी भी लगातार इस मुद्दे को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इसके अलावा विभिन्न सामाजिक संगठनों के सामूहिक मंच ने भी प्रदेश में भू-कानून की आवश्यकता को लेकर राजधानी में बैठकें, विचार गोष्ठियां आयोजित की हैं।