देहरादून। शासन अब फिर से सभी नगर निगमों के महापौर व जिला पंचायत अध्यक्षों को गनर देने की तैयारी में जुट गया है। इनसे कुछ समय पहले ही गनर हटाए गए थे। इसके साथ ही शासन विभागों और निजी व्यक्तियों द्वारा गनर की मांग की समीक्षा करने के बाद कुछ नए व्यक्तियों को गनर उपलब्ध कराने की तैयारी भी कर रहा है। शासन ने पिछली त्रिवेंद्र सरकार के दौरान नियुक्त दायित्वधारियों व कोर्ट के निर्देश पर अन्य व्यक्तियों को मुहैया कराए गए गनर वापस भी लिए हैं।
प्रदेश में सरकार मंत्रियों, विधायकों, विशिष्ट व्यक्तियों, दायित्वधारियों और कोर्ट के निर्देश पर व्यक्ति विशेष की सुरक्षा के लिए गनर उपलब्ध कराती है। गनर देने की दो तरह की व्यवस्था है। एक यह कि गनर सरकारी खर्च पर दिया जाता और दूसरा निजी खर्च पर। हालांकि, प्रदेश में इस समय अधिकांश व्यक्तियों को गनर सरकारी खर्च पर? ही दिए जाते हैं। स्वयं के खर्च पर सरकारी गनर रखने वालों की संख्या न के बराबर है।
प्रदेश में विशिष्ट व अन्य व्यक्तियों को गनर देने के लिए शासन स्तर पर हर तीन माह में सुरक्षा वर्गीकरण को लेकर बैठक होती है। इसमें यह तय किया जाता है कि किन व्यक्तियों से गनर वापस लिए जाने हैं और किन को गनर दिए जाने हैं। इस क्रम में अप्रैल में शासन स्तर पर यह बैठक हुई थी, जिसमें नई सरकार के गठन के कारण हटाए गए दायित्वधारियों से गनर वापस लेने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा जिन व्यक्तियों को कोर्ट के आदेश पर गनर दिए गए थे, उनकी सुरक्षा का आकलन कर उनसे भी गनर वापस लिए गए हैं।
बैठक में महापौर व जिला पंचायत अध्यक्षों से भी गनर वापस लेने का निर्णय लिया गया। इस क्रम में देहरादून व ऋषिकेश के महापौर और देहरादून की जिला पंचायत अध्यक्ष के गनर हटाए गए, मगर अब नए निर्देशों के क्रम में इन्हें फिर से गनर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। सचिव गृह नितेश झा ने कहा कि हर तीन माह में विशष्ट व्यक्तियों व अन्य को सुरक्षा देने के संबंध में बैठक होती है। इसमें गनर वापस लेने और गनर देने के संबंध में चर्चा होती है। इसी क्रम में पिछली सरकार के दायित्वधारियों से गनर हटाए गए। अब सरकार के निर्देशों के क्रम में महापौर व जिला पंचायत अध्यक्षों को फिर से गनर देने की तैयारी है।