देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बहुत जल्द अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर रिक्त तीन सीटें भरने जा रहे हैं। हाल ही में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से दिल्ली में मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री ने यह बात कही। इसके साथ ही मंत्री पद के दावेदार विधायकों में बेचैनी बढ़ गई है। यही नहीं, मंत्रियों के विभागों में भी फेरबदल तय माना जा रहा है। इससे मंत्रिमंडल के सदस्य भी स्वयं को अनिश्चय की स्थिति में पा रहे हैं। हालांकि खुद मुख्यमंत्री के लिए यह किसी चुनौती से कम नहीं, क्योंकि इसके लिए उन्हें क्षेत्रीय और जातीय, दोनों लिहाज से संतुलन साधना होगा।
संवैधानिक प्रविधानों के मुताबिक उत्तराखंड में अधिकतम 12 सदस्यीय मंत्रिमंडल ही हो सकता है। त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में अभी तीन स्थान रिक्त हैं। इनमें से दो तो सरकार गठन के वक्त, यानी मार्च 2017 से ही खाली हैं, जबकि तीसरा स्थान पिछले वर्ष कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत के निधन के कारण रिक्त हुआ। लंबे इंतजार के बाद हाल ही में मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल के जल्द विस्तार की बात कही। हालांकि 40 से ज्यादा विधायक मंत्री पद पाने वालों की कतार में हैं लेकिन यह तय है कि मौका उन्हीं विधायकों को मौका मिलेगा, जो क्षेत्रीय व जातीय संतुलन के पैमाने पर फिट बैठेंगे।
उत्तराखंड में अगले विधानसभा चुनाव में ठीक दो साल का वक्त रह गया है। इस स्थिति में मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हीं जिलों को तरजीह मिलने की संभावना है, जिनका प्रतिनिधित्व अभी मंत्रिमंडल में नहीं है। अभी नौ सदस्यीय मंत्रिमंडल में तीन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत, सतपाल महाराज और डॉ. धनसिंह रावत पौड़ी गढ़वाल जिले से हैं। ऊधमसिंह नगर जिले से यशपाल आर्य व अरविंद पांडेय मंत्रिमंडल में हैं। देहरादून जिले से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, हरिद्वार से मदन कौशिक और टिहरी से सुबोध उनियाल मंत्रिमंडल का हिस्सा हैं। रेखा आर्य मंत्रिमंडल में अल्मोड़ा जिले की नुमाइंदगी कर रही हैं।
यानी, कुल 13 में से छह ही जिलों का प्रतिनिधित्व मंत्रिमंडल में है। पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत, नैनीताल, उत्तरकाशी, चमोली और रुद्रप्रयाग से कोई विधायक मंत्री नहीं है। ज्यादा संभावना यही है कि मंत्रिमंडल विस्तार में इन जिलों को प्रतिनिधित्व मिल सकता है। हालांकि ऊधमसिंह नगर और देहरादून से भी तीन-चार विधायक ऐसे हैं, जिन्हें मंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। संतुलन के पैमाने को अगर साधा जाए तो तीन में से दो मंत्री पद कुमाऊं मंडल के हिस्से जाने के ज्यादा आसार हैं। जल्द मंत्रिमंडल विस्तार को देखते हुए दावेदारों ने लाबिंग शुरू कर दी है। उधर, विभागों में फेरबदल तय मान कई मौजूदा मंत्री संशय की स्थिति में नजर आ रहे हैं।