हिमाचल में बर्ड फ्लू का मामला सामने आने पर उत्तराखंड में भी मुख्य वन्यजीव प्रातिपालक ने अलर्ट जारी कर दिया है। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने केंद्रीय गाइडलाइन का हवाला देते हुए सभी जलाशयों, आद्र भूमि आदि पर विशेष निगाह रखने को कहा है। यही वे स्थान हैं जहां प्रवासी पक्षी अधिक संख्या में पहुंचते हैं। अभी तक प्रदेश में बर्ड फ्लू का कोई मामला सामने नहीं आया है। मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक के मुताबिक आसन बैराज, झिलमिल, नानक सागर, तुमड़िया, बैगुल आदि में लगातार निगरानी को कहा गया है। ये वे क्षेत्र हैं जहां बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी हर साल पहुंचते हैं। कहा गया है कि अगर एक भी पक्षी मरा हुआ पाया जाता है तो सैंपल लिया जाए और आधे घंटे के अंदर-अंदर वन्यजीव प्रतिपालक को सूचित किया जाए।सुहाग के मुताबिक अभी तक प्रदेश में एक भी मामला सामने नहीं आया है। फिलहाल पड़ोसी राज्य के मामले को देखते हुए ही उत्तराखंड में विशेष सतर्कता बरती जा रही है। इसी के साथ केंद्र सरकार से जारी दिशा निर्देेश भी सभी प्रभागीय वन अधिकारियों, पार्क प्रशासन आदि को भेज दिए गए हैं। वन विभाग के मुताबिक हिमाचल में पौंग बांध झील में बर्ड फ्लू का एक मामला सामने आया है। राजस्थान, केरल आदि में भी बर्ड फ्लू के मामले रिपोर्ट किए गए हैं।
प्रदेश में प्रवासी पक्षियों के कई स्थल हैं। आसन बैराज, डिलमिल रिजर्व इसमें सबसे बड़े केंद्र हैं। आसन में हर साल करीब 19 नस्ल के प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं। इसी तरह झिलमिल, तुमड़िया बांध सहित अन्य स्थानों पर भी ये पक्षी पहुंचते हैं।
प्रवासी पक्षियों के आने के कारण कॉर्बेट नेशनल पार्क में भी बर्ड फ्लू फैलने का खतरा है। इस पर वन विभाग ने सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। विभागीय कर्मी सभी संवेदनशील क्षेत्रों में पक्षियों की निगरानी कर रहे हैं।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पक्षियों की 650 से ज्यादा प्रजातियां हैं। पार्क में हर साल बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं। कॉर्बेट पार्क के भूक्षेत्र में रामगंगा, तुमड़िया, रामनगर के कोसी जलाशय के आसपास साइबेरियन पक्षी जाड़ों में पहुंच जाते हैं। इसके चलते वन विभाग ने कुमाऊं मंडल में अलर्ट जारी कर दिया है।
विभाग ने प्रवासी पक्षियों पर नजर रखने के लिए पशु चिकित्सक के नेतृत्व में टीमें बनाई हैं। यदि कोई प्रवासी पक्षी मरता है तो उसका पोस्टमार्टम करने के बाद रिपोर्ट बरेली भेजी जाएगी। बर्ड वॉचरों को भी प्रवासी पक्षियों के नजदीक नहीं जाने दिया जाएगा। इन कार्यों के लिए वनकर्मियों को ट्रेनिंग भी दी जा रही है।