उत्तराखंड में लैब और एक्स रे तकनीशियनों की संख्या बढ़ाने की तैयारी, कैबिनेट में आएगी नियमावली

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देहरादून। उत्तराखंड में लैब तकनीशियन और एक्स रे तकनीशियनों की कमी को देखते हुए इनकी संख्या बढ़ाने की तैयारी चल रही है। इसके लिए नए सिरे से विभागीय ढांचा व नियमावली बनाने की कसरत अंतिम दौर में है। जल्द ही इसे कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा। प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं लगातार बढ़ रही हैं। खासकर कोरोना काल में तो लगातार इन में इजाफा हो रहा है। नए अस्पताल बनने के साथ ही नए उपकरणों की खरीद भी हो रही है। हालांकि, इसके साथ ही लैब व एक्स रे तकनीशियनों की कमी भी महसूस हो रही है।

प्रदेश में इस समय लैब व एक्स रे तकनीशियनों के काफी पद रिक्त चल रहे हैं। नए पदों को विभागीय नियमावली न होने के कारण भरने में दिक्कत आ रही है। दरअसल, उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद स्वास्थ्य विभाग में लैब व एक्स रे तकनीशियनों की भर्ती के लिए उत्तर प्रदेश के जमाने से चली आ रही नियमावली को ही अंगीकार किया गया था। पहले भर्ती इसी नियमावली के आधार पर करने का प्रस्ताव रखा गया।

इस बीच शासन का ध्यान इस ओर गया तो विभाग से पूछा गया कि क्या पुरानी नियमावली के आधार पर भर्ती उचित रहेगी। विभाग ने इससे इन्कार कर दिया। अभी स्थिति यह है कि प्रदेश में लैब तकनीशियनों के 339 पदों के सापेक्ष आधे तकनीशियन ही नियमित हैं। शेष पर संविदा के जरिये काम चल रहा है। वहीं एक्स रे तकनीशियनों के 140 पदों के सापेक्ष 40 फीसद तकनीशियन ही नियमित हैं। पर्वतीय जिलों में इनकी संख्या बेहद ही सीमित है।

कोरोना काल में इनकी कमी महसूस की गई। ऐसे में अब शासन स्तर पर इनकी नियमावली को अंतिम रूप देने की प्रकिया तेजी से चल रही है। नियमावली में भर्ती के स्रोत, भर्ती प्रक्रिया, पदोन्नति की व्यवस्था के साथ ही पदों को बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है।

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