उत्तराखंड सरकार ने एक अगस्त से कक्षा छह से 12वीं तक स्कूल खोलने की अनुमति दे दी है। लेकिन, अभिभावक जहां इस फैसले के खिलाफ हैं, वहीं निजी स्कूलों ने इसे सही बताया है। अभिभावकों ने इसे गलत और सोचे-समझे बिना लिया गया निर्णय बताया। उनका कहना है कि सरकार जहां कोरोना की तीसरी लहर को लेकर लगातार लोगों को जागरूक कर रही है। तमाम उपाय और सावधानियों को लेकर तैयारी चल रही है। अगस्त में ही तीसरी लहर आने की बात कही जा रही है। फिर, इस दौरान स्कूल खोलने की बात सोचना भी बच्चों की जान से खिलवाड़ होगा। उधर, निजी स्कूलों का कहना है कि अभिभावक लगातार अपने बच्चों के गिरते पढ़ाई के स्तर से परेशान हैं और उनकी ऑनलाइन पढ़ाई से बदल रही आदतों को लेकर भी चिंतित हैं। ऐसे में वे जल्द से जल्द सावधानी के साथ स्कूल खोलने को तैयार हैं।
हम लगातार अभिभावकों के संपर्क में हैं। वे स्कूल खोलने की मांग कर रहे थे। सरकार को हमने पत्र भी भेजा था। बाकी जगहों से तो स्कूल पूरी तरह से सुरक्षित हैं। हम कोविड की गाइडलाइन के तहत ही सभी बच्चों को पढ़ाएंगे। वैसे भी अभिभावकों को महसूस होने लगा है कि ऑनलाइन पढ़ाई से उनके बच्चों का मानसिक स्तर काफी कम हो रहा है। स्कूल खोलने जरूरी हो गए हैं।
प्रेम कश्यप, अध्यक्ष-पीपीएसए
पर्यटकों को नहीं आने दिया जा रहा है। ऐसे में बच्चों की जान खतरे में क्यों डाली जा रही है। स्कूल खोलने का आदेश भले ही सरकार का हो। लेकिन, बच्चे तो हमारे हैं। कोई भी अभिभावक बच्चों को स्कूल नहीं भेजेगा। हम इस आदेश का विरोध करेंगे।
आरिफ खान, राष्ट्रीय अध्यक्ष नेशनल एसोसिएशन आफ पेरेंट्स एंड स्टूडेंट राइट
सरकार ने बेहद गलत फैसला लिया। हमारे बच्चों की नहीं, सरकार को निजी स्कूलों की फीस की चिंता है। तभी तीसरी लहर के आगमन से पहले स्कूल खोलने जा रही है। हम इसका विरोध करते हैं। सरकार इस फैसले को तत्काल वापस ले। पहले बच्चों का टीकाकरण हो, तब जाकर स्कूल खोलने की बात करे सरकार।
लव चौधरी, अध्यक्ष अभिभावक एकता समिति