देहरादून। प्रदेश के 16608 विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षित शिक्षकों को लंबे इंतजार के बाद आखिरकार बड़ी राहत मिल गई। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने प्रदेश सरकार के छह महीने के विशिष्ट बीटीसी पाठ्यक्रम को मान्यता प्रदान कर दी। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। इससे उक्त शिक्षकों के स्थायीकरण और पदोन्नति पर मंडरा रहा खतरा टल गया है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक वर्ष 2001 से लेकर 2018 की अवधि तक राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के छह माह के विशेष बीटीसी पाठ्यक्रम को मान्यता दी गई है। विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों का मसला वर्षो से एमएचआरडी में लंबित था। एनसीटीई के उक्त पाठ्यक्रम को मान्यता नहीं देने के बाद से इन शिक्षकों की नौकरी पर संकट खड़ा हो गया था। बाद में इन शिक्षकों को दो वर्षीय डीएलएड पाठ्यक्रम और टीईटी 31 मार्च, 2019 तक उत्तीर्ण करने का मौका दिया गया।
इस बीच शिक्षकों ने सत्तारूढ़ दल के राष्ट्रीय पदाधिकारियों से भी संपर्क साधा गया। इस मामले को निस्तारित करने के लिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और राज्य सरकार के बीच वार्ताओं का लंबा दौर चला। प्रदेश सरकार का तर्क था कि उन्होंने पूर्ववर्ती उत्तरप्रदेश सरकार की तर्ज पर छह माह का विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की थी। उत्तरप्रदेश में छह माह के उक्त पाठ्यक्रम को एनसीटीई ने मान्यता दी, लेकिन उत्तराखंड को इससे वंचित रखा। बाद में केंद्र और राज्य सरकार के बीच बातचीत में यह तथ्य भी सामने आया कि राज्य सरकार और शिक्षा महकमे की ओर से उक्त पाठ्यक्रम को मान्यता दिलाने की सुध ही नहीं ली गई थी। केंद्र सरकार की अधिसूचना जारी होने से राज्य सरकार ने भी वर्षो से लंबित इस मामले में राहत की सांस ली है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि उक्त अधिसूचना के लिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का आभार जताया, साथ ही शिक्षकों को बधाई भी दी। वहीं उत्तराखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजय सिंह ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि पाठ्यक्रम को मान्यता मिलने से शिक्षकों को लंबे समय से मानसिक उत्पीड़न से निजात मिल गई है।