देहरादून। राज्य में 70 प्रतिशत लोगों का जीवनयापन कृषि पर निर्भर है, मगर अब किसान खेती से नाता तोड़ रहे हैं। पांच वर्षों में प्रदेश में कृषि का रकबा 68 हजार हेक्टेयर से अधिक कम हो गया है। नतीजतन प्रदेश में कृषि भूमि का रकबा तेजी से घट रहा है।
प्राकृतिक सौंदर्य के कारण देश विदेश में प्रसिद्ध उत्तराखंड में खेती का रकबा कम होना चिंता का विषय है। राजस्व विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2010-11 में गढ़वाल मंडल में 430614.62 हेक्टेयर और कुमाऊं मंडल में 385069.47 हेक्टेयर भूमि पर खेती हो रही थी।
उत्तराखंड में 815,684.09 हेक्टेयर कृषि भूमि का रकबा था, जबकि 2015-16 की कृषि गणना के अनुसार गढ़वाल मंडल में 385,149.351 और कुमाऊं मंडल में 362,170.344 हेक्टेयर पर भूमि कर कृषि हो रही है। प्रदेश में कुल 747,319.695 हेक्टेयर भूमि पर कृषि हो रही है। इन पांच वर्षों में 68,364.395 हेक्टेयर कृषि भूमि कम हुई है।
कृषि गणना 2010-11 के अनुसार किसानों और कृषि भूमि
जिले – किसानों की संख्या – क्षेत्रफल
चमोली 44915 34820.93
देहरादून (पर्वतीय) 10164 18239.84
देहरादून (मैदानी) 52756 33911.48
हरिद्वार 130545 120410.14
पौड़ी गढ़वाल 84429 101395.34
रुद्रप्रयाग 27093 20510.80
टिहरी गढ़वाल 86433 67221.37
उत्तरकाशी 39536 34104.72
अल्मोड़ा 109268 83944.92
बागेश्वर 53869 25102.89
चंपावत 36274 30265.95
नैनीताल (पर्वतीय) 29985 27332.00
नैनीताल (मैदानी) 20678 28562.39
पिथौरागढ़ 79846 44017.53
ऊधमसिंह नगर 106859 145843.79
कृषि गणना 2015-16 के अनुसार किसानों और कृषि भूमि
जिले – सानों की संख्या – क्षेत्रफल
चमोली 47049 34931.634
देहरादून (पर्वतीय) 10127 18546.733
देहरादून (मैदानी) 42755 29023.128
हरिद्वार 146890 1230351.535
पौड़ी गढ़वाल 79410 61349.329
रुद्रप्रयाग 21798 19576.129
टिहरी गढ़वाल 85204 64963.581
उत्तरकाशी 40605 33723.282
अल्मोड़ा 102240 80555.454
बागेश्वर 47522 23556.717
चंपावत 32257 24991.481
नैनीताल (पर्वतीय) 30622 23085.581
नैनीताल (मैदानी) 18111 26823.492
पिथौरागढ़ 73744 39859.546
ऊधमसिंह नगर 102971 143298.073
कृषि गणना प्रत्येक पांच वर्षों में होती है। 2010-11 के बाद 2015-16 में हुई गणना में खेती का रकबा कम हुआ है। अब यह गणना 2020-21 में होगी। शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण कृषि का रकबा घटा है, जबकि पर्वतीय क्षेत्र में जानवर फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। यह भी एक कारण हो सकता है।
– पीके सिंह, संयुक्त कृषि निदेशक
ये हैं कृषि का रकबा घटने के कारण
= पर्वतीय क्षेत्रों में जंगली जानवरों द्वारा फसल का उजाड़ा जाना।
= फसल का उचित मूल्य बाजार में न मिलना।
= पलायन के कारण खाली हो रहे गांव।
= कंकरीट के घर और व्यावसायिक इमारतें बनने के कारण जमीन का कम होना।
= ग्रामीण क्षेत्र का तेजी से शहरीकरण होना