देहरादून। चारधाम श्राइन बोर्ड (चारधाम देवस्थानम एक्ट) मामले में उत्तराखंड सरकार को बड़ी राहत मिली है। नैनीताल हाईकोर्ट ने सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका खारिज कर दी है।
नैनीताल हाईकोर्ट ने निर्णय सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट इस प्रकरण पर 29 जून से प्रतिदिन सुनवाई कर रही थी। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मामले की सुनवाई हुई थी।
मामले के अनुसार सुब्रमण्यम स्वामी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश सरकार की ओर से चारधाम के मंदिरों के प्रबंधन को लेकर लाया गया देवस्थानम बोर्ड एक्ट असांविधानिक है।
राज्य सरकार ने कहा कि एक्ट बिल्कुल भी असांविधानिक नहीं
देवस्थानम बोर्ड के माध्यम से सरकार का चारधाम व 51 अन्य मंदिरों का प्रबंधन लेना संविधान के अनुच्छेद 25, 26 व 32 का उल्लंघन है और यह जनभावनाओं के विरुद्ध है।
कहा था कि इसमें मुख्यमंत्री को भी शामिल किया गया है, जबकि सीएम का कार्य तो सरकार चलाना है और वे जनप्रतिनिधि हैं, उन्हें इस बोर्ड में रखने का कोई औचित्य नहीं है। मंदिर के प्रबंधन के लिए पहले से ही मंदिर समिति का गठन हुआ है। जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार ने पूछा था कि क्या यह एक्ट असांविधानिक है।
जवाब में राज्य सरकार ने कहा कि एक्ट बिल्कुल भी असांविधानिक नहीं है और न ही इससे संविधान के अनुछेद 25, 26 और 32 का उल्लंघन होता है। राज्य सरकार ने एक्ट को बड़ी पारदर्शिता से बनाया है। मंदिर में चढ़ने वाला चढ़ावे का पूरा रिकार्ड रखा जा रहा है, इसलिए यह याचिका निराधार है और इसे निरस्त किया जाए।