देहरादून। संवाददाता। केद्र सरकार के टीएचडीसी में अपनी 75 फीसदी हिस्सेदारी का विनिवेश कर एनटीपीसी को देने का निर्णय लेने के बाद से टिहरी बांध विस्थापित और टीएचडीसी कर्मचारियों को भारी झटका लगा है। केंद्र का रुख स्पष्ट हो जाने के बाद टीएचडीसी कर्मचारी सरकार के फ़ैसले के विरोध में उतर आए हैं। टिहरी विस्थापितों और झील के पास बसे गांवों के लोग इस फ़ैसले को लोगों के साथ धोखा बता रहे हैं।
विस्थापन का इंतज़ार
टिहरी बांध की झील के कारण हो रहे भूस्खलन और भूधंसाव का सर्वे करने वाली एक्सपर्ट कमेटी के अनुसार अब भी टिहरी बांध की झील से सटे 17 गांवों के 415 परिवारों का विस्थापन होना बाकी है। टिहरी बांध की झील के पानी के उतार-चढ़ाव की वजह से करीब 250 परिवार विस्थापन की राह देख रहे हैं और दहशत के साए में जीने को मजबूर है।
इन लोगों का मानना है कि टीएचडीसी के विनिवेश से पुनर्वास के सभी कार्य प्रभावित होंगे। इन लोगों क डर है कि टीएचडीसी के विनिवेश से झील के आसपास के गांवों के लोगों का पुर्नवास नहीं हो पाएगा।
टिहरीवासियों से धोखा
टीएचडीसी में कार्यरत करीब 1800 कर्मचारियों के हित इस विनिवेश से प्रभावित होने की आशंका है। टीएचडीसी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष टीएस नेगी कहते हैं कि टीएचडीसी एक लाभ वाला प्रोजेक्ट है। यह बिजली ही नहीं पानी की आपूर्ति के साथ-साथ बाढ़ नियंत्रण और सीएसआर मद से किसी न किसी तरह लोगों की ज़रूरतों को पूरा कर रहा है। इसके विनिवेश से टिहरीवासियों के साथ धोखा किया जा रहा है।