देहरादून। लॉकडाउन में बेसहारा और गरीबों के लिए मददगार की भूमिका में नजर आई उत्तराखंड पुलिस अब कोरोना के मरीजों का जीवन बचाने को आगे आई है। इसके लिए कोरोना संक्रमण को मात दे चुके पुलिसकर्मी प्लाज्मा दान करेंगे। जिसे उन संक्रमित मरीजों को चढ़ाया जाएगा, जिनके शरीर में एंटीबॉडी नहीं बन रही हैं।
उत्तराखंड में कोरोना का पहला मामला आने के साथ ही पुलिस ने अपनी प्राथमिकताएं बदल दी थीं। हमेशा अपराधियों के पीछे भागने वाली पुलिस का कोरोनाकाल में पहला उद्देश्य आम आदमी को इस जानलेवा वायरस से सुरक्षित रखना और उनकी मदद करना रहा। लॉकडाउन के शुरुआती चरण में जब लोग घर में ही रहने को मजबूर थे तो पुलिस ने न सिर्फ उन तक दवा समेत अन्य जरूरी सामान पहुंचाया बल्कि गरीब व बेसहारा परिवारों को भोजन भी उपलब्ध कराया। वहीं, बाजार और सड़क पर लॉकडाउन का पालन न करने वालों पर सख्ती भी की, जिससे कोरोना वायरस के संक्रमण को रोका जा सके।
इतनी कवायद के बाद भी प्रदेश में कोरोना संक्रमण भले नियंत्रित न हुआ हो, लेकिन पुलिस ने इसके लिए पूरी दृढ़ता के साथ हरसंभव कोशिश की। इसी का परिणाम है कि अन्य राज्यों की अपेक्षा उत्तराखंड अब भी इस मोर्चे पर बेहतर स्थिति में है। हालांकि, इस दौरान कई पुलिसकर्मी खुद वायरस की चपेट में आ गए। अब इन पुलिसकर्मियों ने सेवाभाव की एक और मिसाल प्रस्तुत करते हुए कोरोना संक्रमितों का जीवन बचाने के लिए प्लाज्मा दान करने का निश्चय किया है।
पुलिस मुख्यालय के अनुसार अप्रैल से अब तक प्रदेश में 226 पुलिसकर्मी कोरोना संक्रमण की चपेट में आए हैं। हालांकि, इनमें से 90 इस वायरस को मात देकर ड्यूटी पर लौट चुके हैं। ये सभी अपना प्लाज्मा दान करेंगे। जिसे प्लाज्मा बैंक में सुरक्षित रखकर आवश्यकतानुसार कोरोना संक्रमितों का इलाज किया जा सकेगा|
अशोक कुमार (पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था) का कहना है कि पुलिस शुरू से ही नागरिकों को कोरोना संक्रमण से बचाने में जुटी है। कोरोना से जंग जीत चुके पुलिसकर्मियों को प्लाज्मा दान करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है ताकि इस लड़ाई को और आसान बनाया जा सकेगा।