राजकीय दून मेडिकल कॉलेज की लैब में बाहर के सैंपल की जांच के मामले में प्रथम दृष्टया कॉलेज और अस्पताल के स्टाफ की संलिप्तता भी सामने आ रही है। प्राथमिक जांच में पता लगा है कि सैंपल देने वाले व्यक्ति का फॉर्म भरने से लेकर एसआरएफआईडी जनरेट होने तक पूरी प्रक्रिया की गई। एसआरएफआईडी बाहर का कोई व्यक्ति जनरेट नहीं कर सकता है। यह भी पता लगा है कि सैंपल लेने वाला व्यक्ति कॉलेज और अस्पताल से बाहर का है। सैंपलिंग की एवज में उसके पैसे लेने की बात प्रथम दृष्टया सामने नहीं आई है। पूरे मामले की जांच एक समिति को सौंपी गई है।
बता दें, मेडिकल कॉलेज की लैब में कुछ ऐसे भी सैंपल आ रहे थे, जिन्हें दून अस्पताल से लिए नहीं लिया जाता। एक निजी लैब का कर्मचारी डिमांड आने पर घर जाकर सैंपल लेता था। जिन्हें जांच के लिए दून मेडिकल कॉलेज भिजवाए जाते थे। मेडिकल कॉलेज स्टाफ की मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं है।
मेडिकल कालेज में आरटीपीसीर सैंपल की मुफ्त जांच होती है। जबकि इन सैंपल की एवज में पैसे लिए जाने के आरोप लग रहे हैैं। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि जो भी इसमें संलिप्त है, उनको चिह्नित किया जाएगा। मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बना दी है। जल्द ही यह समिति अपनी रिपोर्ट देगी।