कांग्रेस की चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत विधानसभा चुनाव को लेकर सर्वाधिक सक्रिय हैं। इन दिनों प्रदेश भर में जगह-जगह पदयात्राएं और जनसभाएं कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर सक्रियता में चुनिंदा राजनेता ही उनके करीब हैं। 70 साल से अधिक आयु के बावजूद रावत की सक्रियता देखने लायक है। रावत राज्य सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते। उन्होंने उत्तराखंडियत के मुद्दे को धार देना शुरू कर दिया है।
सवाल: उत्तराखंड में वर्ष 2002 से लेकर अब तक के सभी विधानसभा चुनावों को आपकी अहम भागीदारी रही है। 2002 और 2022 के चुनाव में क्या अंतर देखते हैं?
जवाब: वर्ष 2002 से अब तक हर क्षेत्र में बदलाव आए हैं। लेकिन चुनाव के नजरिए से मुझे तब और अब में समानताएं भी दिखाई दे रही हैं। तब लोगों ने स्पष्ट रूप से मुझे वोट किया था और आज भी मैं जहां जहां जाता हूं, वहां वही उत्साह देख रहा हूं। कांग्रेस की जनसभाओं में यह बात लोग खुलकर कह भी रहे हैं। जनता ने सियासी बदलाव का मन बना लिया है।
सवाल: इक्कीस साल के उत्तराखंड की स्थाई राजधानी अब तक तय नहीं हो पाई। सत्ता में रहे दोनों दलों ने अब तक इस मुद्दे पर असमंजस बनाए रखा। आप कांग्रेस की सरकार बनने पर ढाई साल में राजधानी गैरसैंण शिफ्ट करने का ऐलान कर चुके हैं। क्या गैरसैंण को स्थाई राजधानी बना देंगे?
जवाब: हां, अब ग्रीष्मकालीन, शीतकालीन नहीं बल्कि एक राजधानी की बात होनी चाहिए। कांग्रेस सत्ता में आने पर एक राजधानी बनाएगी, वह होगी गैरसैंण। कैम्प आफिस दूसरी जगह हो सकता है। मेरा मानना है कि गैरसैंण न केवल उत्तराखंड बल्कि हिमालयी राज्य का प्रतीक है। जब उत्तराखंड का बिल संसद में आया था, तब भी हिमालयी राज्य के रूप में इसे प्रस्तुत किया गया था। गैरसैंण राज्य की सोच भी है।
इसी भावना के तहत मैंने चरणबद्ध तरीके से वहां राजधानी के स्तर का बुनियादी ढांचा विकसित करना शुरू किया। लेकिन भाजपा ने उन सभी कार्यों पर ब्रेक लगा दिया। कहने को ग्रीष्मकालीन राजधानी बना दी, लेकिन ग्रीष्मकाल में भाजपा वहां कहां दिखाई दी? 25 हजार करोड़ रुपये का पैकेज विलुप्त हो गया। हाल ही में पीएम मोदी दून आए थे। 18 हजार करोड़ रुपये के विकास कार्यों का शिलान्यास-लोकार्पण किया। इनमें गैरसैंण कहीं नहीं था।