उत्तराखंड में चुनावी साल में सियासी दल सत्ता में आने के बाद राज्य के लोगों को मुफ्त बिजली देने का दावा कर रहे हैं। लेकिन उन्हें शायद मालूम नहीं कि उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड(यूपीसीएल) पिछले साल तक 577.31 करोड़ के घाटे में था।यूपीसीएल ही नहीं प्रदेश में सार्वजनिक क्षेत्र के 20 उपक्रम घाटे तले दबे हैं और केवल 10 कंपनियां ही मुनाफे में हैं। यह खुलासा कैग रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, फायदे वाली इन 10 कंपनियों ने 258.80 करोड़ का लाभ कमाया। लेकिन इस लाभ में 91.28 फीसदी योगदान यूजेवीएनल, पावर ट्रांसमिशनल कार्पोरेशन ऑफ उत्तराखंड लि. और उत्तराखंड वन विकास निगम का रहा।
अधिकत लाभ कमाने वाली तीन कंपनी
कंपनी राशि(करोड़ में)
यूजेवीएनएल 123.01
पिटकुल 97.34
उत्तराखंड वन विकास निगम 15.88
कुल: 238.23
घाटे में यूपीसीएल सबसे पर भारी
कैग की रिपोर्ट के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के 30 उपक्रमों में से 13 उपक्रम को 31 मार्च 2020 तक 634.28 करोड़ का घाटा हुआ। इसमें से 577.31 करोड़ यानी कुल घाटे का 91 प्रतिशत योगदान यूपीसीएल का है। इनमें से 12 उपक्रमों का घाटा महज नौ फीसदी रहा जबकि शेष लाभ न घाटे में रहे।
लेखे तैयार करने में भी हीलाहवाली
कैग रिपोर्ट के मुताबिक, सार्वजनिक क्षेत्र के निगमों ने लेखे तैयार करने में भी हीलाहवाली की है। उन्हें कंपनी अधिनियम 2013 के तहत अपने वित्तीय विवरण निर्धारित समय सीमा के भीतर देने थे। लेकिन 30 में से 21 सरकारी कंपनियों ने 248 लेखे नहीं दिए।
कंपनियों ने खुद को फायदा में दिखा दिया
कैग ने ऑडिट के दौरान यह पाया कि दो कंपनियों ने अपने लेखों में लाभ और परिसंपत्तियों को अधिक दिखाया, जबकि लेखों में हकीकत कुछ और थी। इस तरह कंपनियों को 163.65 करोड़ और वित्तीय स्थिति 57.22 करोड़ का प्रभाव पड़ा। कैग ने पाया कि सिडकुल ने अपने लेखों में 3.58 करोड़ का अधिक लाभ दर्शाया। गैर चालू परिसंपत्तियां 25 करोड़ से अधिक दर्शाई गईं। यूजेवीएनएल ने पिछले साल की राशि को शामिल करते हुए 11.63 करोड़ की आय दिखाई।