देहरादून। चार दिवसीय पर्व छठ के तीसरे दिन शुक्रवार को सूर्य भगवान को सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा। इससे पहले गुरुवार शाम को व्रतियों ने रसियाव यानि गुड़ और गाय के दूध से बनी खीर का प्रसाद तैयार कर छठी माई के साथ ही अपने कुल देव को भोग लगाया। सूर्यदेव को भोग और अर्घ्य चढ़ाकर निर्जला व्रत धारण किया। आपको बता दें कि बुधवार को नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत हुई। वहीं, राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत प्रदेशवासियों को छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं दीं।
छठ महापर्व नहाय खाय के साथ शुरू हुआ है। इसके बाद कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर खरना होता है। छठ पर्व में खरना के दिन व्रत रखा जाता है। व्रती अपने कुल देवता और छठ माई की आराधना करते हैं। खरना का मतलब है शुद्धिकरण, जो व्यक्ति छठ का व्रत करता है, उसे इस पर्व के पहले दिन यानी खरना वाले दिन उपवास रखना होता है।
इस दिन केवल एक ही समय भोजन किया जाता है। यह शरीर से लेकर मन तक सभी को शुद्ध करने का प्रयास होता है। इसकी पूर्णता अगले दिन होती है। शुक्रवार को षष्टी तिथि छठ महापर्व का सबसे खास दिन होता है। इस दिन व्रती महिलाएं ढलते सूर्य को अघ्र्य अर्पित कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। इस दिन सूर्यास्त का समय शाम पांच बजकर 26 मिनट है। इस समय सूर्य को अर्घ्य देना शुभ मना जाता है। शनिवार को सूर्योदय का समय सुबह छह बजकर 48 मिनट रहेगा। इसी समय सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाएगा।