जौनसार-बावर के ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती होती है। यहां प्रतिवर्ष किसान सीजन में करोड़ों का टमाटर उत्पादन करते हैं। पहाड़ी इलाकों में टमाटर की खेती के लिए जंगलों से पेड़ों को काटकर लकड़ी की झाड़ लगाई जाती है। टमाटर की खेती के लिए जंगलों से पेड़ों का व्यापक स्तर पर दोहन हो रहा है। ऐसे में धीरे-धीरे जंगल साफ होते जा रहे हैं, जिसे बचाने के लिए टमाटर की खेती के लिए लकड़ी की झाड़ की जगह खेतों में की जा सकती है। क्षेत्र के किसान भी नई तकनीक से टमाटर का उत्पादन करें तो पेड़ों का कटान रुक जाएगा।
चकराता(देहरादून) : चकराता ब्लॉक के सुदूरवर्ती अटाल पंचायत निवासी प्रगतिशील किसान प्रेमचंद शर्मा का कहना है कि जौनसार-बावर के ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती होती है। यहां प्रतिवर्ष किसान सीजन में करोड़ों का टमाटर उत्पादन करते हैं। पहाड़ी इलाकों में टमाटर की खेती के लिए जंगलों से पेड़ों को काटकर लकड़ी की झाड़ लगाई जाती है। टमाटर की खेती के लिए जंगलों से पेड़ों का व्यापक स्तर पर दोहन हो रहा है।
ऐसे में धीरे-धीरे जंगल साफ होते जा रहे हैं, जिसे बचाने के लिए टमाटर की खेती के लिए लकड़ी की झाड़ की जगह खेतों में की जा सकती है। क्षेत्र के किसान भी नई तकनीक से टमाटर का उत्पादन करें तो पेड़ों का कटान रुक जाएगा।
बता दें प्रेमचंद ने वर्ष 1994 में उन्होंने फलोत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अटाल में अनार की सफल खेती की है। वर्तमान में वह 1.5 हेक्टेअर क्षेत्र में अनार की खेती कर रहे हैं। इसके अलावा अटाल में नर्सरी प्लांट के तहत डेढ़ लाख पौधे तैयार किए गए। जिसे जौनसार-बावर, हिमाचल और उत्तर-प्रदेश के साढ़े तीन सौ कृषकों को दिए। वर्ष 2013 में अटाल में दो सौ कृषकों को एकजुट कर फल-सब्जी उत्पादन समिति बनाई और ग्राम स्तर पर कृषि सेवा केंद्र की शुरूआत की।