डॉ. इंद्रेश शर्मा मंगलवार रात बेटे को भी मौत का इंजेक्शन लगाने जा रहे थे। इस पर बेटे ईशान ने उनसे पूछा कि पापा क्या कर रहे हो। तब डॉक्टर ने इंजेक्शन लगाने का प्रैक्टिकल कर दिखाने की बात कही लेकिन बाद में उन्होंने अपना इरादा बदल लिया। अगर वह इंजेक्शन लगा देते तो ईशान के साथ भी अनहोनी हो सकती थी। डॉ. शर्मा की कहानी गरीबी, बीमारी के दर्द और मुफलिसी से भरी हुई है।
आईटीआई थाना पुलिस के अनुसार इंद्रेश परिवार से बहुत प्यार करते थे। पत्नी, बेटी उर्वी और बेटा ईशान सभी उन्हें प्रिय थे। 12 साल पहले जब पत्नी बीमार पड़ी तो उन्होंने साथ नहीं छोड़ा। वह कैंसर से लड़ रही पत्नी के साथ हर पल रहे। कई बार पत्नी को खून दिया, जिसके चलते खून की कमी हो गई।
बेटे की पढ़ाई कोरोनाकाल से चल रही थी बंद
पत्नी के इलाज में काफी पैसा खर्च होता था, जिसके चलते उनकी आर्थिक स्थिति भी खराब हो गई थी। सैनिक कॉलोनी में वह इस साल जनवरी में ही रहने आए थे। वह बीते कई महीने से मकान का किराया तक नहीं दे पाए थे। बेटी उर्वी की पढ़ाई भी दसवीं के बाद छूट गई थी, जबकि बेटे की पढ़ाई कोरोनाकाल से बंद चल रही थी। जनवरी में ही उन्होंने बेटी उर्वी की शादी जसपुर के लक्ष्मीनगर निवासी मयंक से की।
मोहल्ले वालों ने बताया कि वह पहले भी एक बार इसी तरह इंजेक्शन खरीद कर ला चुके थे, लेकिन तब इरादा बदल लिया था। बताया जा रहा है कि उनके रिश्तेदारों से संबंध बहुत ज्यादा अच्छे नहीं थे। देहरादून में रहने वाले उनके परिवार के लोगों को उनके घर यहां आते हुए नहीं देखा गया।
12 बजे तक लूडो खेला फिर मौत काे गले लगाया
पुलिस के अनुसार पत्नी की बीमारी के बीच डॉ. शर्मा खुद भी बीमार हो गए थे। इन दिनों उन्हें कुछ बीमारियों ने घेर लिया था। साथ ही खराब आर्थिक स्थिति के चलते वह बहुत परेशान थे। इसी से जूझते हुए उन्होंने पत्नी सहित
आत्महत्या करने का फैसला लिया। मंगलवार रात उन्होंने बेटे के साथ खूब मस्ती की। रात 12 बजे तक लूडो खेलते रहे। इसके बाद उन्होंने खुद को और पत्नी को इंजेक्शन लगा लिया।
दर्दरहित मौत चाहते थे दोनों…
इंस्पेक्टर आईटीआई अशुतोष सिंह ने बताया कि एनेस्थीसिया की ओवरडोज से मौत होने की आशंका है। विशेषज्ञों का कहना है कि एनेस्थीसिया शरीर को सुन्न कर देती है जिससे दर्द का अहसास नहीं हेाता है। शायद डॉक्टर ने दर्द रहित मौत के लिए इंजेक्शन लगाकर आत्महत्या करने का फैसला लिया होगा।