देहरादून: दून-मसूरी रोड पर गलोगी पावर हाउस के पास का भूस्खलन जोन लंबे समय से दर्द दे रहा है। इस मानसून सीजन में भी इस मार्ग पर कई दफा भूस्खलन हुआ और यातायात बाधित होता रहा। हालांकि, अच्छी बात यह है कि अब सरकारी मशीनरी इसके स्थायी उपचार की दिशा में आगे बढ़ रही है। सितंबर के प्रथम सप्ताह में जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भूस्खलन जोन का निरीक्षण कर हरसंभव उपचार के निर्देश दिए तो लोनिवि अधिकारी संजीदा नजर आ रहे हैं।
प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता डीसी नौटियाल के मुताबिक, भूस्खलन जोन के लिए रिक्वेस्ट फार परपोजल (आरएफपी) आमंत्रित किए गए हैं। उपचार के लिए प्री-बिड मीटिंग भी आयोजित की गई। जिसमें भूस्खलन की वस्तुस्थिति रखी गई। जिस कंपनी का चयन किया जाएगा, उसे सबसे पहले जियो टेक्निकल सर्वे करना होगा। यह बताना होगा कि भूस्खलन का स्वरूप क्या है और किस तरह इसका उपचार किया जा सकता है। इसी आधार पर डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट) रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी जाएगी। उपचार की लागत डीपीआर के आधार पर तय होगी। हालांकि, प्रारंभिक आधार पर माना जा रहा है कि इस काम में करीब चार करोड़ रुपये का खर्च आ सकता है।
100 मीटर ऊंचाई तक से हो रहा भूस्खलन
मसूरी रोड पर गलोगी पावर हाउस के पास का भूस्खलन जोन काफी विस्तृत है। इस पहाड़ी से 100 मीटर ऊंचाई व 80 मीटर तक लंबाई वाले भाग से भूस्खलन होता है। इसके अलावा यहां पहाड़ी के बीच से जलस्रोत भी फूट रहा है। यही कारण है कि लोनिवि ने अब तक भूस्खलन जोन के उपचार के लिए जो भी प्रयास किए हैं, वह निरर्थक साबित हुए। मानसून सीजन में जब जलस्रोत के पानी की मात्रा बढ़ जाती है, तब भूस्खलन की रफ्तार तेज हो जाती है।