नैनीताल हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य-पर्यटन सचिव को फटकारा, कहा- केंद्र लाइफ सेविंग ड्रग्स की करे लगातार सप्लाई

0
250

कोरोना संक्रमण के बीच पर्यटन प्रदेश की खराब हुई साख और बदइंतजामी पर हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य और पर्यटन सचिवों को कड़ी फटकार लगाई। मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली खंडपीठ ने कोविड डेथ ऑडिट रिपोर्ट पेश नहीं करने पर नाराजगी जताते हुए अधिक रकम वसूली की शिकायतों पर निजी अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए। अदालत ने 16 जून को होने वाली अगली सुनवाई पर पर्यटन सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर पर्यटन सुधार के साथ चारधाम यात्रा रोडमैप पेश करने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य सचिव को अस्पतालों में वेंटीलेटर, आईसीयू, जीवनरक्षक दवाओं समेत कोविड से जुड़ी हर स्वास्थ्य जरूरत का ऑडिट रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने बुधवार को प्रदेश में क्वारंटाइन सेंटरों की बदहाल व्यवस्थाओं को लेकर दायर जनहित याचिकाओं की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को कोरोना की तीसरी लहर से निपटने की तैयारियां करने को कहा।

कोर्ट ने कहा कि राज्य में जीवनरक्षक दवाओं की आपूर्ति के साथ ऑक्सीजन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। हर जिला अस्पताल को कोविड के लिए जरूरी वेंटिलेटर, आईसीयू सहित हर प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराएं। ग्राम स्तर पर भी आइसोलेशन सेंटर की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

अदालत ने ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों पर भी चिंता जताई और सरकार से जरूरी दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि लोगों में कोरोना के प्रति जागरूकता के लिए सरकार सेलिब्रिटीज की मदद ले।

स्वास्थ्य सचिव को फरमान 
कोर्ट ने कहा कि कोरोना के अलावा बाकी रोगों के मरीजों की भी चिंता करे। कोर्ट ने सचिव अमित नेगी को निर्देश दिए कि कोविड मरीजों के लिए अलग अस्पताल तैयार करें, जिससे बाकी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को भी प्रमुखता से इलाज मिल सके। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर सचिव स्वास्थ्य को इन सभी बिंदुओं पर विस्तृत ब्यौरा मुहैया कराने को कहा है।

पर्यटन सचिव को फटकार
कोर्ट ने अब तक एक बार भी सचिव दिलीप जावलकर द्वारा चारधाम यात्रा को लेकर जमीनी तैयारियों का निरीक्षण न करने पर हैरानी जताई। कोर्ट ने पर्यटन सचिव को चारधाम यात्रा का रोडमैप पेश करने के आदेश दिए और साथ ही नैनीताल-मसूरी आदि जगहों पर पर्यटन विकास के अलावा कोर्ट ने कोरोना के खतरे के बीच प्रदेश आने वाले यात्रियों के साथ आम लोगों को सुरक्षित रखा जाएगा, इसकी पूरी रिपोर्ट-एसओपी पेश करने को कहा।

कोर्ट ने ये महत्वपूर्ण निर्देश  
– केंद्र सरकार उत्तराखंड को लाइफ सेविंग ड्रग्स की निर्बाध रूप सप्लाई करे।
– प्रदेश सरकार ब्लैक फंगस से जुड़ी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करवाए।
– आईडी कार्ड के कारण टीके से छूटे लोगों के लिए जिलास्तरीय टास्क फोर्स बनाएं।
– पर्वतीय क्षेत्रों में आशा वर्कर, होमगार्ड और नर्सों की कमेटी से घर-घर सर्वे कराएं
– नई एसओपी में यह भी स्पष्ट करें कि किस बीमारी के लिए कितना खर्चा तय है।
– सिविल सोसाइटी के सुझावों पर भी विचार कर जरूरी कार्रवाई करें।

ये है मामला
अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली और देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने प्रदेश में क्वारंटाइन सेंटरों और कोविड अस्पतालों की बदहाली और उत्तराखंड लौट रहे प्रवासियों की मदद और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए हाईकोर्ट में अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की थीं।

पूर्व में बदहाल क्वारंटाइन सेंटरों के मामले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव ने विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर माना था कि उत्तराखंड के सभी क्वारंटाइन सेंटर बदहाल स्थिति में हैं और सरकार की ओर से वहां पर प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है। इसका संज्ञान लेकर कोर्ट ने अस्पतालों की नियमित मॉनिटरिंग के लिए डीएम की अध्यक्षता में जिलेवार निगरानी कमेटियां बनाने के आदेश दिए थे और कमेटियों से सुझाव भी मांगे थे।

 

LEAVE A REPLY